'प्रॉपर्टी बेचो हमें तो पैसा चाहिए...', हिमाचल स्कॉलरशिप घोटाला मामले में ईडी अधिकारी पर 25 करोड़ मांगने का आरोप
हिमाचल प्रदेश में छात्रवृत्ति घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। शिक्षण संस्थानों के मालिकों ने आरोप लगाया है कि ईडी के सहायक निदेशक विशाल दीप ने 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी। प्रताड़ना से तंग आकर एक संस्थान के अध्यक्ष ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की। सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है और ईडी अधिकारी फरार है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। राजधानी शिमला में पर्वतन निदेशालय में भ्रष्टाचार मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। छात्रवृति घोटाले में फंसे शिक्षण संस्थानों के मालिकों ने आरोप लगाया है कि ईडी अधिकारी ने 25 करोड़ रिश्वत मांगी थी।
हिमालयन ग्रुप ऑफ एजुकेशन के अध्यक्ष रजनीश बंसल, देव भूमि ग्रुप ऑफ एजुकेशन के अध्यक्ष भूपेंद्र शर्मा, आईजसीएल ग्रुप के संजीव प्रभाकर, आईसीएल ग्रुप के डीजे सिंह सहित अन्य शिक्षण संस्थानों के पदाधिकारियों ने शिमला में संयुक्त प्रेसवार्ता के दौरान ईडी के सहायक निदेशक विशालदीप जबरन वसूली का धंधा चलाने का आरोप लगाया है।
25 करोड़ की रिश्वत मांगने का लगाया आरोप
रजनीश बंसल ने कहा कि ईडी के सहायक निदेशक विशाल दीप ने उनसे 25 करोड़ की रिश्वत मांगी थी। उन्हें कहा गया कि वह सभी संस्थानों से यह पैसा इक्ट्ठा करके दें। पैसा देने के बाद वह उन्हें गिरफ्तार नहीं करेंगे। उन्हें झूठे गिरफ्तारी के वारेंट दिखाए गए।
एक-एक कर सभी को ईडी ऑफिस बुलाया गया और प्रताड़ित किया गया। शिक्षण संस्थानों के सभी पदाधिकारियों को मानसिक तौर पर परेशान किया गया। 10 व 19 दिसंबर को दोबारा बुलाया। सुबह 10 बजे से शाम साढ़े आठ बजे तक खड़े रखा। यदि बयान लेने हो, तो एक घंटा ही जरूरी होता है।
दूसरे दिन भूपेंद्र शर्मा को बुलाया गया लाखों की मांग की गई। संजीव प्रभाकर को बुलाकर डंडे मारे गए। इनकी माता की मौत हुई थी और भाई कोमा में है। उनकी इस बात को भी नहीं सुना गया। उन्होंने कहा कि हमारी मां और पत्नी ने कहा है कि इन्हें पैसे दे दो, इसके लिए वह अपने गहने बेचने तक को तैयार हो गईं।
प्रताड़ना से तंग आकर करने जा रहे थे आत्महत्या
रजनीश बंसल ने बताया कि संजीव प्रभाकर प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने जा रहे थे। वह जहर की शीशी लेकर हमारे पाया आए। तब हमने वकीलों से विचार-विमर्श किया और सीबीआई के पास जाने का निर्णय लिया। चंडीगढ़ में सीबीआई के डीआईजी ने 5 मिनट में ही इस पर कार्रवाइ की।
विशेष जांच टीम गठित करके शनिवार व रविवार को सारा दिन कार्यवाही की। उन्होंने कहा कि छात्रवृति में 250 करोड़ का, जो घोटाला कहा गया है, वह कोई घोटाला नहीं है। उसमें केवल अनियमिताएं हुई है क्योंकि नियमों का पता नहीं था। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जब फैसला आएगा तो सभी के समक्ष होगा।
उन्होंने कहा कि 276 संस्थानों को छात्रवृति मिली, लेकिन इनमें से 29 को ही क्यों चयनित किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बड़े-बड़े संस्थानों को बदनाम करने की सोची-समझी साजिश रची गई थी। इनमें से 99 प्रतिशत कॉलेज बंद हो गए हैं। जो 60 लाख हमने दिए थे, उसे रिकवर कर लिया है।
क्या है स्कॉलरशिप घोटाला?
हिमाचल में वर्ष 2013 से 2017 के दौरान करीब 250 करोड़ के छात्रवृति घोटाले का मामला सामने आया था। राज्य सरकार के अनुरोध पर वर्ष 2019 में सीबीआई ने निजी शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी मामले की जांच व निगरानी की।
समय-समय पर स्थिति संबंधी रिपोर्ट दायर की गई। केंद्र सरकार की ओर से एससी, एसटी, ओबीसी श्रेणियों के विद्यार्थियों की मदद के लिए शुरू की गई छात्रवृत्ति योजना के कथित दुरुपयोग से संबंधित था।
केस में अभी तक क्या हुआ
- कालाअंब स्थित एक शैक्षणिक संस्थान के चेयरमैन से रिश्वत की मांगी। 19 दिसंबर को ईडी कार्यालय बुलाया गया।
- संस्थान के चेयरमैन ने इसकी शिकायत सीबीआई चंडीगढ़ को की थी। दो अलग-अलग शिकायतें हुई।
- सीबीआई ने इन्हें पकड़ने को जाल बिछाया। जीरकपुर व पंचकूला में तय की गई रिश्वत की रकम के साथ बुलाया गया था, जहां सीबीआई ने पहले से ही जाल बुन रखा था। सीबीआई ने शिमला कार्यालय में भी रेड की।
- ईडी अधिकारी का भाई विकास दीप सिंह भी इसमें शामिल था, इससे रिश्वत के 55 लाख भी बरामद हुए। जबकि मुख्य आरोपी ईडी का सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह फरार चल रहा है।
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