हिमाचल का सबसे लंबा रोपवे प्रोजेक्ट दो साल से लटका, 500 करोड़ बढ़ गई लागत; अब मंत्रिमंडल लेगा क्या फैसला?
Shimla Tara Devi Ropeway शिमला-तारादेवी रोपवे परियोजना में दो साल की देरी हो चुकी है जिससे लागत बढ़कर 2296 करोड़ रुपये हो गई है। 13.79 किलोमीटर लंबे इस रोपवे प्रोजेक्ट पर अब मंत्रिमंडल निर्णय लेगा। पहले एक ही कंपनी के आने के कारण अब शॉर्ट टेंडर की तैयारी है। कैबिनेट तय करेगी कि नए सिरे से टेंडर किया जाए या पहली कंपनी को ही काम सौंपा जाए।

अनिल ठाकुर, शिमला। Shimla Tara Devi Ropeway, हिमाचल प्रदेश में सबसे लंबा रोपवे प्रोजेक्ट पिछले दो वर्षों से लटका हुआ है। तारादेवी-शिमला के बीच प्रस्तावित इस रोपवे की लंबाई 13.79 किलोमीटर है। इस परियोजना का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अब इसे मंत्रिमंडल की बैठक में पुनः रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के विदेश दौरे से लौटने के बाद कैबिनेट की बैठक की तिथि निर्धारित की जाएगी। हिमाचल प्रदेश रोपवे ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आरटीडीसी) ने कैबिनेट के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
शॉर्ट टेंडर किया तो होगी और देरी
सूत्रों के अनुसार, सरकार चाहती है कि नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके लिए शार्ट टेंडर का विकल्प भी दिया गया है। कारपोरेशन का तर्क है कि पहले तीन बार टेंडर जारी किए गए थे, लेकिन केवल एक ही कंपनी ने भाग लिया। रोपवे के निर्माण के लिए ग्लोबल टेंडर की आवश्यकता होती है। यदि शार्ट टेंडर किया जाता है, तो भी प्रक्रिया में पांच से छह महीने लगेंगे, जिससे निर्माण में और देरी होगी।
कैबिनेट यह निर्णय लेगी कि नए सिरे से टेंडर किया जाए या फिर जो कंपनी पहले आई है, उसे ही कार्य सौंपा जाए।
500 करोड़ रुपये बढ़ गई लागत
प्रारंभ में इस परियोजना की लागत 1734.40 करोड़ रुपये प्रस्तावित थी, लेकिन अब इसमें दो साल की देरी के कारण लागत बढ़कर 2296 करोड़ रुपये हो गई है। इससे राज्य सरकार की हिस्सेदारी भी बढ़ गई है। यदि कैबिनेट मंजूरी देती है, तो इसके बाद डीपीआर को संशोधित करके न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) को भेजा जाएगा। एनडीबी इस परियोजना में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रदान करेगा।
प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी भी बढ़ी
पहले सरकार को 346.80 करोड़ खर्च करने थे, लेकिन अब हिस्सेदारी बढ़कर 459.2 करोड़ पहुंच गई है। एनडीबी इसके लिए ऋण देगा। ऐसे में राज्य सरकार इस मामले को दोबारा से केंद्र सरकार और एनडीबी के समक्ष उठाना पड़ेगा। राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद ये सारी प्रक्रिया शुरू होगी।
कंपनी ने 2700 करोड़ रुपये की बिडिंग की थी
हिमाचल प्रदेश रोपवे ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन ने इसके लिए टेंडर जारी कर निविदाएं मांगी थी। तीन बार इसके लिए टेंडर जारी किए गए। एक ही कंपनी क्वालिफाई हुई। कंपनी ने 2700 करोड़ रुपये की बिडिंग की थी। कंपनी के पदाधिकारियों के साथ नेगोशिएशन बैठक में 2296 करोड़ की लागत तय हुई है। कंपनी स्पष्ट कर चुकी है कि 1734.40 करोड़ में यह परियोजना तैयार नहीं हो सकती। कंपनी का कहना है कि जब इसकी डीपीआर तैयार की थी तब कीमतें कुछ और थी।
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13.79 किलोमीटर होगी इस रोपवे की लंबाई
तारादेवी से शिमला के बीच बनने वाले रोपवे की लंबाई 13.79 किलोमीटर होगी। रोपवे से शिमला शहर के 15 स्टेशन को जोड़ेगा। जो कंपनी इसका निर्माण करेगी अगले पांच सालों तक वह इसकी मरम्मत (मेंटेनेंस) का काम भी देखेगी। रोपवे से लोग 12 से 15 मिनट में 13.79 किलोमीटर का सफर तय कर सकेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन आरडी नजीम ने कहा कि परियोजना की लागत बढ़ गई है। इस मामले को दोबारा कैबिनेट में रखा जाएगा।
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