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    आठ वजह... जिनके कारण मौत को गले लगा रहे लोग, महिलाओं से ज्यादा पुरुष; तनावमुक्त रहने के लिए पढ़ लें विशेषज्ञ राय

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 03:55 PM (IST)

    suicide cases Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं खासकर पढ़े-लिखे युवाओं में। मानसिक दबाव घरेलू कलह प्रेम विवाह और आर्थिक स्थिति जैसे कारण आत्महत्या के पीछे हैं। विशेषज्ञ मानसिक दबाव को मुख्य कारण मानते हैं। कांगड़ा और मंडी जिलों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

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    तनाव के कारण लोग मौत को गले लगा रहे हैं। प्रतीकात्मक फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में पढ़े लिखे अधिक लोग आत्महत्या कर रहे हैं। पुलिस के पास दर्ज मामलों को देखें तो प्रदेश में हर वर्ष आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। 12 से 30 वर्ष और 31 से 45 वर्ष के लोग अधिक आत्महत्या कर रहे हैं। महिलाओं की अपेक्षा पुरुष अधिक आत्महत्या का शिकार बन रहे हैं। आत्महत्या के मामलों में सबसे बड़ा कारण मानसिक दबाव है जो किसी भी तरह का हो सकता है। जो व्यक्ति मानसिक दबाव को सहन कर लेता है, वह स्वयं को बचा लेता है।

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    प्रदेश में हर वर्ष करीब 700 से 800 मामले आत्महत्या के दर्ज किए जा रहे हैं। जिला कांगड़ा व मंडी में ऐसे सबसे अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। परीक्षा परिणाम के दौरान आत्महत्या के मामले ज्यादा होते हैं।

    प्रदेश में आत्महत्या के मामले 

    • वर्ष    पुरुष    महिलाएं कुल मामले 
    • 2019    377    207    584 
    • 2020    561    296    857     
    • 2021    614    275    889    
    • 2022    536    222    758    
    • 2023    547    271    818
    • 2024    565    228    793

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    आत्महत्या के मुख्य कारण 

    1. मुख्य कारण मानसिक दबाव
    2. घरेलू कलह, प्रेम विवाह
    3. पढ़ाई व नौकरी पाने में असफलता
    4. प्यार में धोखा
    5. घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ना
    6. ऋण का बोझ
    7. आपराधिक गतिविधि में संलिप्तता 
    8. नशे की प्रवृति

    क्या कहते हैं विशेषज्ञ

    आत्महत्या का मुख्य कारण मानसिक दबाव है। युवा वर्ग में आत्महत्या के अधिक मामले देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान पीढ़ी पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। आत्महत्या के मामलों में कमी लाने के लिए अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ उनकी समस्याओं को दूर करने में सहयोग करना है। बच्चों की इच्छाओं और रुचि के साथ उन पर नजर रखना आवश्यक है। बचपन से ही बच्चों को हर स्थिति का सामना करने में सक्षम बनाना चाहिए। 

    -डा. दिनेश शर्मा, मनोरोग विभागाध्यक्ष, आइजीएमसी शिमला।

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