Himachal: सरकारी कर्मचारी को जारी कर दिया BPL प्रमाणपत्र, फर्जी दस्तावेज से मकान भी ले लिया; अब दोषी अधिकारी की तलाश
Fake BPL Certificate शिमला में एक सरकारी कर्मचारी द्वारा फर्जी बीपीएल प्रमाणपत्र से आवास प्राप्त करने का मामला सामने आया है। नगर निगम प्रशासन ने प्रमाणपत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। महिला को आवास खाली करने का नोटिस दिया गया था लेकिन उसने आदेश का पालन नहीं किया। निगम ने ढली थाने में शिकायत दर्ज करवाई है।

जागरण संवाददाता, शिमला। Fake BPL Certificate, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में फर्जी बीपीएल कार्ड बनाकर आवास लेने वाली सरकारी कर्मचारी महिला के मामले में अब अधिकारियों पर जांच होगी। नगर निगम प्रशासन ने महिला को बीपीएल प्रमाणपत्र जारी करने वालों की जांच की तैयारी कर ली है।
प्रशासन ने इन अधिकारियों पर शिकंजा कसने का फैसला लिया है। निगम प्रशासन ने यह मामला सामने आने के बाद आवास का आवंटन रद कर दिया है, लेकिन महिला को नियमों के खिलाफ बीपीएल प्रमाणपत्र किस तरह और किन अधिकारियों के समय में जारी किया गया था, इसकी पूरी जांच की जाएगी।
इसके लिए निगम प्रशासन ने तैयारी कर ली है। राजधानी शिमला में आशियाना-2 प्रोजेक्ट के तहत मिलने वाले मकान को पाने के लिए झूठा बीपीएल प्रमाणपत्र जारी करने का मामला सामने आया था। नगर निगम को जब इस बात की सूचना मिली तो निगम ने आरोपित के खिलाफ जांच बिठाई, जांच में पाया गया कि महिला ने झूठे दस्तावेज देकर ये प्रमाणपत्र पाया था।
नगर निगम प्रशासन ने ढली थाना में दर्ज करवाई शिकायत
इतना ही नहीं जांच में यह भी पाया गया कि महिला सरकारी नाैकरी में तैनात है। आवंटन गलत तरह से होना पाए जाने पर महिला को निगम ने आवास खाली करने का नोटिस दिया था, आरोपित महिला ने निगम की आदेशों की अवमानना कर घर को खाली नहीं किया। इस मामले में निगम की ओर से ढली थाने में शिकायत भी दर्ज करवा दी है।
सरकारी कर्मचारी किसी भी तरह से बीपीएल सूची में नहीं हो सकता
इस मामले में नगर निगम को शिकायत मिली थी कि संतोष कुमारी निवासी सेट नंबर-4, ब्लॉक-20, आशियाना प्रोजेक्ट दो ढली को बीपीएल प्रमाण पत्र के आधार पर मकान आवंटित किया गया था। शिकायत में स्पष्ट किया गया कि संबंधित महिला एक स्थायी सरकारी कर्मचारी हैं। उन्हें बीपीएल की श्रेणी में किसी भी तरह से नहीं रखा जा सकता। इसके बावजूद झूठे दस्तावेज प्रस्तुत कर उन्होंने नगर निगम से लाभ उठाया।
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शिकायत के आधार पर नगर निगम ने इस पूरे मामले की जांच करवाई। जांच में यह तथ्य सही पाया गया कि आवेदनकर्ता ने फर्जी बीपीएल प्रमाण पत्र लगाकर मकान हासिल किया। अब इस प्रमाणपत्र जारी करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों पर कार्रवाई की तैयारी है।
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