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    हिमाचल हाई कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक चंबा को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने के दिए आदेश, थाने में पिटाई का मामला

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 12:06 PM (IST)

    Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की पिटाई के मामले में पुलिस अधीक्षक चंबा से हलफनामा मांगा है। अदालत ने सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता के साथ दुर्व्यवहार हुआ था। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने पुलिस अधिकारी के कदाचार पर सवाल उठाया और मामले में उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया।

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    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव

    विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने जांच के दौरान आरोपित से पिटाई करने वाले तत्कालीन जांच अधिकारी (आइओ) के विरुद्ध प्रस्तावित कार्रवाई का ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक चंबा को हलफनामा दायर करने को कहा है।

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    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हलफनामा घटना के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को व्यक्तिगत रूप से देखने के बाद दायर किया जाए। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने पेन ड्राइव में लाई गई सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता के इस आरोप में दम है कि संबंधित पुलिस अधिकारी ने उसके साथ शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार किया था। इसलिए इस मामले में प्राधिकारियों द्वारा की अभी तक की कार्रवाई पुलिस अधिकारी के कदाचार से मेल नहीं खाती।

    झूठी शिकायत के आधार गिरफ्तारी का आरोप

    याचिकाकर्ता की शिकायत है कि नोरंग नामक व्यक्ति द्वारा शिकायत दर्ज करवाई गई थी। इस पर अज्ञात लोगों के विरुद्ध पुलिस थाना तीसा जिला चंबा में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 120-बी के तहत तीन जनवरी, 2025 को प्राथमिकी दर्ज की गई। याचिकाकर्ता ने अपने विरुद्ध कथित झूठी शिकायत के आधार पर अपनी गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए हाई कोर्ट से अंतरिम अग्रिम जमानत ली।

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    थाना में उपस्थित होने पर हुई पिटाई

    22 जनवरी 2025 को अंतरिम अग्रिम जमानत इस शर्त के साथ दी गई कि याचिकाकर्ता को 24 जनवरी को दिन में 11 बजे जांच अधिकारी पुलिस थाना तीसा के समक्ष उपस्थित होना होगा। याचिकाकर्ता 24 जनवरी को तत्कालीन जांच अधिकारी एसएचओ पुलिस थाना तीसा के समक्ष उपस्थित हुआ। इसमें उक्त जांच अधिकारी अशोक कुमार ने याचिकाकर्ता के साथ पिटाई की। इसके कारण याचिकाकर्ता की श्रवण शक्ति में कमी आई। यातनापूर्ण कृत्यों को अनुचित बताते हुए याचिकाकर्ता ने मामले के तत्कालीन जांच अधिकारी को बदलने और उसके विरुद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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