हिमाचल में बाढ़ का कारण बन रही नदियों में खनन के लिए केंद्र से मांगी अनुमति, नितिन गडकरी ने भी दिया था सुझाव
Himachal Pradesh Disaster Reason हिमाचल प्रदेश सरकार ने ब्यास और सतलुज नदियों में खनन की अनुमति के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है क्योंकि मानसून में बाढ़ से भारी तबाही हुई। नितिन गडकरी ने भी नदियों को गहरा करने के लिए ड्रेजिंग का सुझाव दिया था। हर साल नदियों में रेत और बजरी बहकर आने से उनका तल ऊंचा हो रहा है जिससे नुकसान हो रहा है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Pradesh Disaster Reason, हिमाचल प्रदेश में बाढ़ से होने वाले नुकसान का कारण बन रही ब्यास व सतलुज नदियों से रेत-बजरी व पत्थर निकालने पर प्रतिबंध है। मानसून सीजन के दौरान ब्यास व सतलुज नदी ने भारी तबाही मचाई। नदियों के साथ खड्डों व नालों में खनन पर प्रतिबंध है।
इसे देख प्रदेश सरकार ने ब्यास-सतलुज नदियों में खनन की अनुमति प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। अनुमति मिलने पर खनन कर नदी को गहरा किया जाएगा।
नितिन गडकरी ने भी दिया था ड्रेजिंग का सुझाव
केंद्रीय सड़क, भू-तल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ष 2023 में ब्यास में आई बाढ़ के कारण हुए नुकसान को लेकर नदी को गहरा करने के लिए ड्रेजिंग करने का सुझाव दिया था। उसी तर्ज पर केंद्र आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए आई दोनों टीमों ने भी नदियों, नालों व खड्डों की ड्रेजिंग करने का विषय उठाया था।
हर साल पांच से सात फीट रेत व बजरी आते हैं बहकर
नदियों में हर साल पांच से सात फीट रेत, बजरी व पत्थर बहकर आते हैं, जो उनके तल को ऊंचा करते हैं। इसी कारण नुकसान हो रहा है। नदी अपना प्रवाह बदल रही हैं।
पांच जिलों में है वन संरक्षण अधिनियम
कुल्लू, बिलासपुर, मंडी, सोलन, सिरमौर जिलों में वन संरक्षण अधिनियम लागू है। हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना व चंबा के कुछ हिस्सों में इस तरह का कानून नहीं है।
पत्र में वन संरक्षण अधिनियम का हवाला
मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना का कहना है कि ब्यास व सतलुज नदी से रेत-बजरी व पत्थर निकालने की अनुमति प्रदान करने के संबंध में गृह मंत्रालय को पत्र लिखा गया है। मांग की है कि केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय प्रदेश सरकार को इन दो नदियों से खनन गतिविधियां संचालित करने की अनुमति प्रदान करें।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान का कहना है कि 2023 की बाढ़ के बाद कुल्लू जिला में ड्रेजिंग के लिए चार साइट्स चिह्नित की गई थी। उद्योग विभाग ने लगभग एक करोड़ 25 लाख रुपये की रेत व बजरी इकट्ठा की, लेकिन वन विभाग ने उसे बेचने से रोक दिया।
यह भी पढ़ें- मौसम की मार से जूझ रहा हिमाचल जुटा पक्की तैयारी में, तकनीकी शिक्षा के साथ आपदा प्रबंधन भी पढ़ाएगी सरकार
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।