Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Himachal Landslide: सड़क दो हिस्सों में बंटी, बीच में 15 फीट खाई, कांगड़ा के गड़रेड़ गांव में आपदा की वजह जानेंगे भूविज्ञानी

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 01:51 PM (IST)

    Himachal Pradesh Kangra Landslide कांगड़ा के गड़रेड़ गांव में भूस्खलन से भारी तबाही हुई है जिससे कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और एक किलोमीटर के दायरे में जमीन 10 फीट तक धंस गई। प्रशासन ने इलाके को सील कर दिया है और पीड़ितों को राहत शिविरों में ठहराया गया है।

    Hero Image
    थुरल के गडरेड़ गांव में जमीन धंसने से मकान में पड़ी दरारें। जागरण

    शिवालिक नरयाल, भवारना (कांगड़ा)। Himachal Pradesh Kangra Landslide, हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में पूरा गांव ही धंस गया है। सुलह विधानसभा क्षेत्र के तहत थुरल की बछवाई पंचायत के गड़रेड़ गांव में आई आपदा में राहत कार्यों में दो दिन सेना के मोर्चा संभालने के बाद शुक्रवार को आरएसएस के 20 स्वयंसेवियों ने पीड़ित परिवारों को राहत सामग्री पहुंचाई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्वयंसेवियों ने क्षतिग्रस्त मकानों से सामान निकालने में लोगों की मदद की। शनिवार को फिर से सेना के जवान घरों से सामान निकालने में लोगों की मदद करेंगे। अभी छह से सात मकानों का ही सामान निकालकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया है।

    गड़रेड़ को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना की धारा 33 के तहत विशेष अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया है। इस प्रविधान के तहत भूविज्ञानिक अनुसंधान के तहत भूविज्ञानियों से इस क्षेत्र की जांच करवाई जाएगी कि यह जगह रहने के लिए सुरक्षित है या नहीं। आगामी समय में यहां गहन अध्ययन होगा। जल्द भूगर्भीय सर्वेक्षण टीम क्षेत्र में आएगी और जांच करेगी व रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। 

    10 फीट तक धंस गई है एक किलोमीटर के दायरे की जमीन

    बछवाई के इस गांव में करीब एक किलोमीटर के दायरे में सारी जमीन लगभग 10 फीट तक धंसी है। पूरा इलाका सील कर दिया है, किसी को भी क्षतिग्रस्त इलाके में जाने की अनुमति नहीं है। बछवाई पंचायत के वार्ड चार के एक बेहड़े बुहला मांजा में आई आपदा ने सबको झकझोर कर रख दिया है। भले ही पीड़ितों को फौरी राहत दी गई है, राहत शिविरों में भी ठहराकर उनकी हरसंभव मदद की जा रही है लेकिन अब न वह जमीन बची है न घर। यह सोच सोचकर हर पीड़ित की आंख नम है।

    चिंता भविष्य की यह है कि जीवन की पूरी कमाई तो वह मकानों को बनाने में लगा चुके हैं, अब फिर से शून्य से उठकर कैसे खड़े हो पाएंगे। ऐसा नहीं कि आपदा ने इस क्षेत्र में पहली बार दस्तक दी हो।

    2023 में भी धंसी थी इसी तरह जमीन

    वर्ष 2023 में भी यहां इसी तरह से जमीन धंसी थी और शायद आपदा ने गांववालों को चेतावनी दी होगी कि यह जमीन रहने लायक नहीं है। तब शायद लोगों ने इसे हल्के में लिया और अब 2025 की 15 सितंबर की रात का मंजर देखकर लोग डर गए हैं। लोगों ने एक-दूसरे को फोन कर भागकर जान बचाई और अब राहत शिविरों में रातें गुजारने के लिए मजबूर हैं।

    क्षतिग्रस्त हुए 13 मकानों में 52 लोग रहते हैं। इनमें 21 (महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग व बच्चे हैं) आपदा के समय मौजूद थे। बाकी पारिवारिक सदस्य घर से बाहर नौकरी के सिलसिले में रहते हैं। कुछ बुजुर्गों को रिश्तेदारों के पास शिफ्ट कर दिया है।

    सड़क दो हिस्सों में बंटी, बीच में 15 फीट गहरी खाई 

    15 सितंबर की रात एकदम से मूसलधार वर्षा शुरू हुई। इसके बाद जमीन खिसकने का सिलसिला शुरू हो गया और लोग दहशत के मारे एक-दूसरे को फोन करने लगे। पता चला कि ज़मीन धंस रही है और लोग तुरंत गांव से भागे और सड़क की ओर रुख किया। सुबह होते-होते उनके घर जमींदोज़ होना शुरू हो गए। उनका सारा सामान घर के अंदर था। अब सेना ने मोर्चा संभाला है और जवान सारा सामान सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। गांव में सड़क दो हिस्सों में बंट गई है और बीच में 15 फीट गहरी खाई बन गई है।

    क्या कहते हैं प्रभावित

    • हमारी जमीन और मकान सबकुछ खत्म हो गया है। खाना खाते समय तेज वर्षा शुरू हुई और पूरी रात जागकर बिताई। जब जमीन धंसने लगी तब भागकर जान बचाई है, अब उम्मीद सिर्फ सरकार से है।

      -सुनीता, प्रभावित। 

  • उस रात मैंने मौत को करीब से देखा है। इतना भयानक मंजर था कि जमीन धंस रही थी और रास्ते फट रहे थे। आंगन, घर, बाथरूम सब खत्म हो गया। सभी लोगों ने दो-तीन साल पहले मकान बनाए थे।

    ऊषा कुमारी, प्रभावित।

  • पीड़ित परिवारों की जा रही सहायता

    पीड़ित परिवारों को फौरी राहत के रूप में 10 हजार की राहत राशि दी है। राहत शिविरों में पीड़ित परिवारों को शिफ्ट कर उनकी सहायता की जा रही है। यदि पीड़ित किराये का मकान लेते हैं तो उनके लिए पांच हजार रुपये का प्रबंध किया जाएगा। भूमि तलाशने का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। सेना के जवान शनिवार को फिर से राहत कार्यों में मदद करेंगे।

    -सलीम आजम, एसडीएम, धीरा।

    सरकार ठोस कदम उठाए

    यह घटना बेहद दुःखद है। सरकार को चाहिए कि क्षतिग्रस्त हुए मकानों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाए व पीड़ितों को जमीन और मकान बनाने के लिए धनराशि जल्द मुहैया करवाई जाए। 

    -विपिन सिंह परमार, विधायक सुलह।

    मुख्यमंत्री से इस विषय पर चर्चा की

    सरकार पीड़ित परिवारों के प्रति गंभीर है। मुख्यमंत्री से इस विषय पर चर्चा की है। वन विभाग को जमीन तलाशने के लिए कहा है। भूविज्ञानियों की एक टीम से इस जमीन का अध्ययन करवाया जाएगा।

    -संजय सिंह चौहान, अध्यक्ष, ग्रामीण विकास बैंक।

    पीड़ितों को जल्द जमीन दी जाए

    प्रशासन की ओर से मदद की जा रही है। सेना के जवान और स्थानीय लोग भी पीड़ितों की सहायता कर रहे हैं। सरकार से मांग है कि जल्द पीड़ितों को जमीन मुहैया करवाई जाए। 

    -देश राज, प्रधान, बछवाई, पंचायत।

    यह भी पढ़ें- Shimla Landslide: शिमला के हिमलैंड में भूस्खलन से खतरे की जद में बहुमंजिला भवन, प्रशासन ने सड़क भी की बंद

    यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का हिमाचल में पांच बीघा भूमि नियमित करने की नीति पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश, हाई कोर्ट ने की थी रद