सुप्रीम कोर्ट का हिमाचल में पांच बीघा भूमि नियमित करने की नीति पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश, हाई कोर्ट ने की थी रद
Hiamchal Land Regularization Rule सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के उस निर्णय पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं जिसमें पांच बीघा भूमि नियमित करने की नीति को असंवैधानिक करार दिया गया था। यह याचिका सीपीआइएम के सचिव और हिमाचल किसान सभा के पूर्व महासचिव डा. ओंकार शाद ने दायर की है। अदालत ने यह निर्देश याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए तर्कों के बाद दिया।

जागरण संवाददाता, शिमला। Hiamchal Land Regularization Rule, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से पांच बीघा भूमि नियमित करने की नीति को असंवैधानिक करार देते हुए रद करने वाले निर्णय पर अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।
हाई कोर्ट ने पांच अगस्त को पूनम गुप्ता बनाम हिमाचल प्रदेश मामले में हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम की धारा 163 ए को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इसी निर्णय को चुनौती दी गई है।
किसान सभा के नेता ने दायर की है याचिका
यह याचिका सीपीआइएम के सचिव और हिमाचल किसान सभा के पूर्व महासचिव डा. ओंकार शाद ने दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष यह मामला सूचीबद्ध था।
16 सितंबर को स्पेशल लीव पिटीशन दायर
डा. शाद की ओर से बताया गया कि 16 सितंबर को स्पेशल लीव पिटीशन दायर की गई थी। सुनवाई के बाद डा. शाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आवेदन को एसएलपी के साथ टैग कर दिया है और यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।
अपीलकर्ता ने अधिवक्ता के माध्यम से दिया यह तर्क
डा. शाद ने अधिवक्ता प्रांजल किशोर के माध्यम से तर्क दिया कि हाई कोर्ट का निर्णय एक प्रशासनिक शून्य पैदा करेगा और किसानों व ग्रामीण भू-धारकों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
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प्रतिवादियों में हिमाचल प्रदेश राज्य प्रधान सचिव (राजस्व), भारत संघ और पूनम गुप्ता सहित कई निजी पक्ष शामिल हैं। मामले की सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि मामले में दायर हस्तक्षेप आवेदन को मुख्य विशेष अनुमति याचिका के साथ टैग किया जाए। याचिकाकर्ता ओंकार शाद ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय से इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।
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