Himachal Panchayat: चुनावी वर्ष में संशोधन विधेयक लाई सरकार, अब भ्रष्टाचार में संलिप्त जनप्रतिनिधि नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
Himachal Pradesh Panchayat Chunav हिमाचल प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव नियमों में बदलाव किया है। अब भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल पंचायत प्रतिनिधि चुनाव नहीं लड़ पाएंगे ऐसा पंचायती राज संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है। चुनाव लड़ने पर छह साल की रोक रहेगी। पंचायतों की शक्तियां भी बढ़ाई गई हैं अब वे 25 हजार तक के मामलों की सुनवाई कर सकेंगी।

अनिल ठाकुर, शिमला। Himachal Pradesh Panchayat Chunav, हिमाचल प्रदेश में दिसंबर में पंचायत चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले, राज्य सरकार ने चुनाव संबंधी नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। यदि पंचायत प्रधान, उपप्रधान, वार्ड सदस्य, बीडीसी या जिला परिषद के सदस्य भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें छह वर्ष तक चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी।
यह नियम अब पूर्व सदस्यों पर भी लागू होगा, जबकि पहले यह केवल वर्तमान सदस्यों के लिए था। 2018 से 2025 तक पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की 358 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से 237 मामलों में जांच चल रही है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को हिमाचल प्रदेश पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2025 को ध्वनिमत से पारित किया गया। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह की अनुपस्थिति में, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इस विधेयक को पेश किया।
विधेयक में पूर्व प्रतिनिधियों से वसूली का प्रविधान भी शामिल किया है। अधिनियम की धारा 121-ख में यह उल्लेख है कि जिला परिषद का चुनाव लड़ने वाले प्रतिनिधि को 30 दिन के भीतर चुनाव खर्च का विवरण प्रस्तुत करना होगा। यदि कोई प्रतिनिधि समयसीमा के भीतर खर्च का विवरण नहीं देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई का कोई प्रविधान नहीं था।
इसलिए नई धारा 121-ग जोड़ी गई है, जिसके तहत चुनाव खर्च का विवरण न देने वाले वर्तमान प्रतिनिधियों को उनके पद से हटा दिया जाएगा और वे तीन वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होंगे। ऐसे पंचायत प्रतिनिधियों को निलंबित करने का कोई प्रविधान नहीं था, जो रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाते थे। अब उन्हें निलंबित करने और आगे की कार्रवाई का प्रविधान किया गया है।
हिमाचल प्रदेश पंचायती राज संशोधन विधेयक में कुछ नए प्रविधान किए गए हैं। अब कोई पंचायत प्रतिनिधि भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के बाद चुनाव नहीं लड़ सकेगा। पंचायतों की शक्तियों को भी बढ़ाया गया है।
-सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री।
ये प्रविधान भी किए
- पंचायत प्रतिनिधियों और उनके रिश्तेदारों को पंचायत कार्यों में सामग्री की आपूर्ति करने से रोकने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं।
- पंचायतों को न्यायिक कार्य सौंपे गए हैं, जिसमें भारतीय दंड संहिता की 35 धाराओं के तहत न्यायिक शक्तियां शामिल हैं।
- निदेशक पंचायती राज को ग्रामसभा की विशेष बैठकों को बुलाने का अधिकार दिया गया है, जिससे यह प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी। अब विशेष बैठकें 30 दिन के बजाय सात दिन में बुलाई जा सकेंगी।
- यदि किसी पंचायत प्रतिनिधि को 14 दिन से अधिक हिरासत में रखा जाता है और छह माह में आरोपपत्र तय नहीं होता, तो उनका निलंबन समाप्त माना जाएगा।
- यदि पंचायत स्तर पर अनियमितता या धनराशि का छलावरण पाया जाता है, तो पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ-साथ संबंधित कर्मचारियों को भी दोषी ठहराया जाएगा।
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