हिमाचल के मेडिकल कॉलेजों की सुविधाओं के आगे भूल जाएंगे दिल्ली एम्स, लाई जा रही हैं कई अत्याधुनिक मशीने
हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेज अब दिल्ली के एम्स को भी पीछे छोड़ देंगे। राज्य सरकार सभी मेडिकल कॉलेजों में अत्याधुनिक मशीनें और बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवा रही है। पहले चरण में स्वास्थ्य निदेशालय और स्वास्थ्य शिक्षा निदेशालय को अलग किया गया है। अगले 15 दिनों में पैरामेडिकल स्टाफ का ढांचा भी बदला जाएगा। इसके साथ ही आएजीएमसी शिमला में पुरानी मशीनों की जगह नई मशीनें भी लाई जाएंगी।

राज्य ब्यूरो, शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली की तर्ज पर प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाएगा। राज्य में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य प्रणाली बनाई जाएगी ताकि लोगों को इलाज के लिए बाहर न जाना पड़े।
पहले चरण में स्वास्थ्य निदेशालय व स्वास्थ्य शिक्षा निदेशालय को अलग-अलग किया है। अगले 15 दिनों में पैरा मेडिकल स्टाफ का ढांचा भी बदला जाएगा। स्टाफ को मेडिकल कॉलेज या स्वास्थ्य सेवाओं में रहने का विकल्प दिया जाएगा।
डॉक्टर व रोगी और पैरा मेडिकल व रोगी का अनुपात तय किया जाएगा। हर स्वास्थ्य संस्थान में डॉक्टर मुहैया करवाए जाएंगे। युक्तीकरण की प्रक्रिया को स्वास्थ्य विभाग में अपनाकर पदों को भरा जाएगा।
शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान बुधवार को विधायक डॉ. जनक राज व रणधीर शर्मा के प्रश्न के उत्तर में हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष अगले साल बजट सत्र के दौरान यह प्रश्न दोबारा उनसे पूछे।
स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल ने विधायक डॉ. जनक राज और रणधीर शर्मा को आश्वासन दिया कि उनके विधानसभा हलकों में प्राथमिकता पर डॉक्टर की नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक समय था जब प्रदेश के पास डॉक्टर ही नहीं होते थे और एमबीबीएस के बाद प्लेसमेंट हो जाती थी मगर अब समय बदल गया है। सभी मेडिकल कॉलेज से हजारों चिकित्सक निकल रहे हैं।
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नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने उठाए कई सवाल
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार ने 500 चिकित्सकों के पद सृजित किए जिसमें 300 पद भर दिए गए। 200 की प्रक्रिया शुरू की गई थी। क्या ये वही पद हैं जिनको पूर्व सरकार भरना चाहती थी। उन्होंने कहा कि एमबीबीएस करके आज हजारों बच्चे नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। सरकार उनके भविष्य के बारे में क्या सोच रही है। यहां स्वास्थ्य संस्थानों में पद रिक्त हैं।
स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल ने कहा कि चिकित्सकों के 200 पद भरने के लिए लिखित परीक्षा आयोजित हो चुकी है। जल्द ही ये पद भर दिए जाएंगे। सरकार का प्रयास रहेगा कि दूरदराज क्षेत्र जहां ज्यादा जरूरत है वहां पहले नियुक्ति की जाए।
भरे जाएंगे 200 डॉक्टरों के पद, बदली जाएंगी आइजीएमसी की मशीनें
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला गए। वहां पर 20 वर्ष पुरानी सीटी स्कैन व एमआरआइ मशीनें हैं। ये खराब होती हैं तो टेस्ट नहीं हो पाते। रोगियों को बाहर टेस्ट करवाने पड़ते हैं। इन्हें बदल कर नई मशीनें खरीदी जा रही है। उन्होंने कहा कि 200 डॉक्टरों के पदों को भरने की प्रक्रिया चली हुई है।
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