हिमाचल में वन भूमि से कब्जे न हटाने पर हाई कोर्ट ने अधिकारी बनाए प्रतिवादी, जनता को दी बड़ी छूट
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने के आदेश का पालन न होने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पुराने कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने और नए कब्जों को रोकने में विफलता पर सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश ने मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया है।

विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकारी व वन भूमि को कब्जामुक्त करने के आदेश पर अमल न होने पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्रों में बताया गया है कि सरकार ना तो पुराने कब्जाधारियों के विरुद्ध हाई कोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई कर रही है ना ही नए कब्जों को रोक पा रही है। इस कारण हाई कोर्ट की ओर से पारित आठ जनवरी के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। वन विभाग कुछ दिन सक्रिय होने के बाद फिर सो गया है।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने पत्रों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इन्हें स्वतंत्र जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत करने के आदेश दिए। कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर आठ जनवरी को पारित आदेश की अनुपालन रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से दायर करने के आदेश भी दिए।
ये अधिकारी बनाए गए प्रतिवादी
कोर्ट ने जनहित याचिकाओं में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन), सचिव (राजस्व), प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एचओएफएफ) शिमला, वन मुख्यालय टालैंड शिमला, अतिरिक्त प्रधान मुख्य संरक्षक (वन प्रबंधन) टालैंड शिमला, उपायुक्त कांगड़ा, वन संरक्षक सुकेत प्रभाग सुंदरनगर और प्रभागीय वन अधिकारी सुंदरनगर, एसडीएम धीरा व बिजली बोर्ड के कार्यकारी निदेशक को प्रतिवादी बनाने के आदेश भी दिए।
आठ जनवरी को दिए थे वन भूमि को कब्जा मुक्त करने के आदेश
हाई कोर्ट ने आठ जनवरी को प्रदेश में सभी प्रकार की सरकारी भूमि को कब्जामुक्त करने और सरकारी या वन भूमि पर नए कब्जे न होने देने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने ऐसा न करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।
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किसी भी नागरिक को सादे कागज पर जानकारी देने की छूट
कोर्ट ने किसी भी नागरिक को सादे कागज पर इन आदेशों की अवहेलना होने पर हाई कोर्ट के नाम पत्र लिखकर जानकारी देने की छूट दी है ताकि दोषियों, कर्मचारियों व अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सके। इस संदर्भ में सुंदरनगर निवासी दिमेश्वर दत्त व कांगड़ा निवासी विजेंदर कुमार ने मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की जानकारी दी है।
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