CM की सुरक्षा में चूक पर कांस्टेबल के रोके वेतन लाभ 23 साल बाद बहाल, हिमाचल हाई कोर्ट ने सजा को असंवैधानिक बताते हुए दिया निर्देश
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री आवास पर तैनात एक कांस्टेबल की वेतनवृद्धियाँ रोकने की सजा को असंवैधानिक ठहराया। 2002 में सीएम आवास परिसर में एक संदिग्ध बैग मिलने की घटना के बाद कांस्टेबल पर कदाचार का आरोप लगा था। कोर्ट ने सरकार को कांस्टेबल के सभी सेवा लाभ बहाल करने का आदेश दिया क्योंकि दंड बिना किसी ठोस प्रमाण के लगाया गया था।

विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला स्थित मुख्यमंत्री आवास में गार्ड ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी को कदाचार के आरोप में चार वेतनवृद्धियां रोकने की सजा को असंवैधानिक ठहराया है। न्यायाधीश सत्येन वैध ने याचिकाकर्ता होशियार सिंह की याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि प्रार्थी को किसी कदाचार या कर्तव्य की उपेक्षा के पुख्ता प्रमाण पर ही किसी दंड का सामना करना पड़ सकता है। याचिकाकर्ता हिमाचल प्रदेश सशस्त्र पुलिस की तीसरी बटालियन में कांस्टेबल था।
18 फरवरी 2002 को याचिकाकर्ता सीएम आवास में पोस्ट संख्या पांच पर ड्यूटी पर था। करीब चार बजे एक व्यक्ति कथित तौर पर सीएम आवास में घुसा और बैग वहां छोड़ भाग गया था। इस पर याचिकाकर्ता, उपनिरीक्षक भीम सिंह, कांस्टेबल शेष राम और रामपाल के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच की गई।
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याचिकाकर्ता ने बचाव में कहा था कि परिसर के बाहर से कोई व्यक्ति उससे पूछताछ कर रहा था और वह जवाब दे रहा था। कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि क्योंकि यह दंड याचिकाकर्ता के विरुद्ध किसी भी दोषपूर्ण परिस्थिति के प्रमाण के बिना लगाने का प्रयास किया है, इसलिए ऐसी विकृत कार्रवाई को बरकरार नहीं रखा जा सकता।
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कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता के सभी सेवा लाभ बहाल करे जो विभागीय आदेश के परिणामस्वरूप छीन लिए गए थे। कोर्ट ने पाया कि प्रार्थी के विरुद्ध विवादित आदेश स्पष्ट रूप से विकृत हैं क्योंकि उनमें दर्ज निष्कर्ष जांच अधिकारी की ओर से दर्ज साक्ष्य या रिकार्ड पर मौजूद किसी अन्य सामग्री से नहीं निकाले गए हैं। जो निष्कर्ष साक्ष्य पर आधारित नहीं हैं या अन्यथा रिकार्ड से उत्पन्न नहीं हैं, उनका कानून की दृष्टि में कोई निष्कर्ष नहीं है।
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