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    हिमाचल हाई कोर्ट में आउटसोर्स भर्तियों की याचिकाओं पर शुरू होगी अंतिम सुनवाई, हजारों नियमित पदों के खिलाफ हुई है भर्ती

    By Chaitanya Thakur Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Wed, 24 Dec 2025 06:48 PM (IST)

    Himachal pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकारी विभागों में आउटसोर्स भर्तियों के खिलाफ याचिकाओं पर 30 दिसंबर से अंतिम सुनवाई शुरू करने ...और पढ़ें

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    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव

    विधि संवाददाता, शिमला। Himachal pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकारी व अर्द्ध सरकारी विभागों सहित निगमों और बोर्डों में आउटसोर्स भर्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 30 दिसंबर से अंतिम सुनवाई शुरू करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया व न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर आंशिक तौर पर सुनवाई हुई। 

    कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सरकार द्वारा लाई आउटसोर्स नीति की वैधता को चुनौती देने वाले मुद्दे पर अपनी दलीलें केंद्रित करने को कहा। 

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    भर्ती के नाम पर चल रहा धंधा

    कोर्ट को बताया था कि प्रदेश में आउटसोर्स भर्तियों के नाम पर धंधा चल रहा है। अनेक गैरपंजीकृत संस्थाओं को आउटसोर्स कर्मियों की भर्तियों का जिम्मा सौंपा है और बिना किसी अनुभव विभागों को मैनपावर उपलब्ध करवा रही हैं। 

    नई टेंडर प्रक्रिया से भी नहीं होता कोई बदलाव

    सुनवाई के दौरान बताया कि अधिकांश मामलों में नई टेंडर प्रक्रिया के बावजूद आउटसोर्स कर्मी तो वही रहते हैं, जबकि उनके ठेकेदार बदल जाते हैं। इससे केवल कमीशन की अदला-बदली होती है।

    हजारों नियमित पदों के खिलाफ आउटसोर्स भर्तियां

    कोर्ट को बताया कि हजारों नियमित पदों के खिलाफ आउटसोर्स कर्मियों की भर्तियां की गई हैं, जबकि इन्हें केवल आपातकालीन परिस्थितियों में ही लगाए जाने की व्यवस्था होती है। कोर्ट से इस धंधे की एसआइटी जांच की मांग की गई थी, परंतु कोर्ट ने भानुमती का पिटारा खोलने के बजाय फिलहाल आउटसोर्स नीति की वैद्यता पर अपना ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।

    यह है मामला

    सात नवंबर 2024 को हाई कोर्ट ने आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्तियों पर पूर्ण रोक लगाने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद आठ जनवरी 2025 को पारित आदेश के तहत उपरोक्त आदेश पर रोक हटाने से इन्कार कर दिया था। इन आदेशों को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च 2025 को सरकार की अपील का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट के उपरोक्त आदेश पर रोक लगा दी थी।

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