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    हिमाचल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सरकारी स्कूलों में तैनात हजारों कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने का आदेश

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 06:03 PM (IST)

    Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्कूलों में आउटसोर्स पर नियुक्त कंप्यूटर अध्यापकों को नियमित करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश सत्येन वैध ने सरकार को याचिकाकर्ताओं को 2016 से नियमित करने का आदेश दिया जब उन्होंने याचिका दायर की थी। अदालत ने शिक्षा विभाग को 12 सप्ताह के भीतर कार्रवाई पूरी करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ताओं को परिणामी लाभों का भी हकदार बताया गया है।

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    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने का आदेश दिया है। प्रतीकात्मक फोटो

    विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर नियुक्त हजारों कंप्यूटर अध्यापकों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें नियमित करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश सत्येन वैध ने मनोज कुमार शर्मा व अन्यों द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए सरकार को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ताओं को कम से कम वर्ष 2016 से नियमित करें जब से उन्होंने याचिकाएं दायर की हैं।

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    हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता लंबे समय से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार के तथ्यों को नकारते हुए कहा कि निष्क्रियता के कारण अदालत को रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करना आवश्यक है।

    शिक्षा विभाग को दिया 12 सप्ताह का समय दिया

    कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए याचिका को स्वीकार किया। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को बारह सप्ताह के भीतर संपूर्ण कार्यवाही पूरा करके तत्काल याचिका दायर करने की तारीख से कम से कम पीएटी, जीवीयू और पीटीए श्रेणियों के साथ याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को नियमित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सभी परिणामी लाभों का पात्र भी बताया।

    दो दशक से सरकारी स्कूलों में कार्यरत

    मामले के अनुसार याचिकाकर्ता हिमाचल प्रदेश के सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में दो दशकों से अधिक समय से कंप्यूटर शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं। उन्हें स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा नियोजित किया गया है, जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर स्कूलों में विषय पढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा और जनशक्ति प्रदान करने के लिए नियुक्त किया गया है।

    2000 और 2001 में हुई थी तैनाती

    सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) को शैक्षणिक सत्र 2000/2001 के दौरान राज्य के 234 स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए एक अतिरिक्त विषय के रूप में पेश किया गया था। राज्य सरकार द्वारा बुनियादी ढांचा और जनशक्ति प्रदान करने के लिए दो संस्थाओं अर्थात् मैसर्स इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस इलेक्ट्रॉनिक एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी (एमआईईसीटी) को लगाया गया था।

    दूसरे चरण में 260 स्कूलों को शामिल किया

    दूसरे चरण में यानी शैक्षणिक सत्र 2002-03 के दौरान, राज्य सरकार ने आरसीसी चंडीगढ़ को शामिल किया, बाद में 260 स्कूलों में आईटी शिक्षा शुरू करने के लिए डीओईएसीसी सोसायटी, नई दिल्ली में विलय कर दिया।

    2008 से 12 की अवधि के लिए सेवाएं लगी थीं

    वर्ष 2005 में, राज्य के 588 स्कूलों को कवर करने के लिए डीओईएसी केंद्र, चंडीगढ़ की सेवाओं का लाभ उठाया गया था। इसके बाद, राज्य में 968 स्कूलों में आईटी शिक्षा प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचा और जनशक्ति प्रदान करने के लिए 2008-2012 की अवधि के लिए मैसर्स एवरॉन एजुकेशन लिमिटेड की सेवाएं लगी हुई थीं। याचिका दायर करते समय, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी), चंडीगढ़ आवश्यक सेवाएं प्रदान कर रहा था।

    हिमाचल प्रदेश राज्य में आईटी शिक्षकों के संबंध में नियुक्ति, छंटनी, स्थानांतरण, पुनर्वितरण, भुगतान और वेतन आदि उपरोक्त एजेंसियों / सेवा प्रदाताओं को सौंपे गए थे। संक्षेप में, राज्य सरकार ने 2001-02 से राज्य में आईटी शिक्षा प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे और जनशक्ति के प्रावधान को आउटसोर्स किया है।

    आउटसोर्स कर्मचारियों के रूप में उनके लंबे कार्यकाल को देखे सरकार 

    याचिकाकर्ता इस आधार पर राहत की मांग कर रहे थे कि आउटसोर्स किए गए कर्मचारियों के रूप में उनके लंबे कार्यकाल की अवधि को देखा जाए। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि नई भर्ती के लिए उनके मौके कम हो गए थे क्योंकि उन्होंने चालीस साल की उम्र को पार कर लिया है। प्रार्थियों का यह भी कहना था कि जिस तरह पीटीए, ग्रामीण विद्या उपासक और पैरा शिक्षकों को नियमितीकरण का लाभ दिया गया, वो भी समानता के अधिकार के आधार पर नियमितीकरण का अधिकार रखते हैं।

    जनवरी 2016 में दायर की थी याचिका

    याचिकाकर्ताओं द्वारा जनवरी 2016 में याचिका दायर की गई थी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने  स्कूलों में विषय की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए पीजीटी सूचना विज्ञान अभ्यास (पीजीटी आईपी) का एक कैडर भी बनाया है। सरकार ने याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना का इस आधार पर विरोध किया था कि उन्हें नियमितीकरण का कोई अधिकार नहीं है, बल्कि वे प्रचलित सेवा नियमों के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा भरे जाने वाले पदों के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

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    यह कहा गया था कि याचिकाकर्ता निजी कंपनियों के कर्मचारी होने के कारण राज्य सरकार द्वारा नियोजित कर्मचारियों के साथ समान नहीं हो सकते हैं। यह भी कहा गया था कि राज्य में 1242 स्कूलों में, हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के माध्यम से लगे सेवा प्रदाताओं के माध्यम से शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए कुल 1321 आईटी शिक्षकों की तैनाती की गई थी।

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