हिमाचल हाई कोर्ट ने बिना स्वीकृति लगे पीटीए व एसएमसी शिक्षकों को दी राहत, काउंसिलिंग में मिलेंगे इतने अंक
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) और अभिभावक-अध्यापक संघ (पीटीए) शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने आदेश दिया है कि नई नियुक्तियों के लिए होने वाली काउंसिलिंग में ऐसे शिक्षकों के अनुभव प्रमाणपत्र के अंक भी गिने जाएंगे। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने कहा कि चयन समिति द्वारा अनुभव प्रमाणपत्र पर विचार न करना अनुचित था

विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बिना स्वीकृति नियुक्त स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) और अभिभावक-अध्यापक संघ (पीटीए) शिक्षकों को राहत दी है। कोर्ट ने ऐसे अध्यापकों को नई नियुक्तियों की काउंसिलिंग में उक्त अनुभव प्रमाणपत्र के निर्धारित नंबर देने के आदेश दिए हैं।
अब संबंधित प्रधानाचार्यों द्वारा जारी तीन साल से अधिक के अनुभव प्रमाणपत्र को शिक्षकों की बैचवाइज अथवा सीधी भर्ती के लिए होने वाली काउंसिलिंग में गिना जा सकेगा।
न्यायाधीश संदीप शर्मा ने याचिकाकर्ता आनंद स्वरूप की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा चयन समिति के समक्ष प्रस्तुत अनुभव प्रमाणपत्र पर विचार न करने का कारण अनुचित था। चयन समिति ने केवल इस आधार पर अनुभव प्रमाणपत्र के लिए डेढ़ अंक देने से इन्कार कर दिया था कि उसकी नियुक्ति पीटीए द्वारा बिना स्वीकृति के की गई थी।
कोर्ट ने कहा, ड्राइंग मास्टर की बैचवाइज भर्ती के लिए महत्वपूर्ण सरकारी/अर्द्ध सरकारी संगठन का शिक्षण प्रमाणपत्र का होना था। चूंकि सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने प्रमाणपत्र जारी किया था, जिसमें यह प्रमाणित किया था कि याचिकाकर्ता ने विद्यालय में तीन वर्ष से अधिक समय तक कार्य किया है। इसलिए सरकारी अनुमति के बिना विद्यालय में उसकी नियुक्ति का प्रश्न प्रासंगिक नहीं हो सकता।
याचिकाकर्ता के साथ हुआ अन्याय
कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता द्वारा रिकाॅर्ड पर रखे शिक्षण प्रमाणपत्र पर विचार न करने के कारण उसके साथ अन्याय हुआ है। यदि चयन समिति ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत शिक्षण अनुभव प्रमाणपत्र पर विचार किया होता तो उसे अन्य चयनित शिक्षक के स्थान पर चुना जाता।
नहीं दिए थे अनुभव के अंक
याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि उसे प्रधानाचार्य राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुम्मा द्वारा जारी तीन वर्षीय शिक्षण प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के लिए 1.5 अंक दिए जाने चाहिए थे। उसने 20 जुलाई 2009 से 21 जून 2012 तक अर्थात बिना ग्रांट इन एड के पीटीए आधार पर तीन वर्ष तक सेवाएं दी थीं। इसलिए उसके प्रमाणपत्र पर विचार नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप वह 1.5 अंक का लाभ नहीं उठा पाया।
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कोर्ट ने कहा, यदि चयन समिति ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत शिक्षण प्रमाणपत्र पर विचार किया होता तो उसे 5.16 (3.66 1.5) अंक प्राप्त होते और ऐसी स्थिति में उसे नियुक्ति प्राप्त हो जाती। इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वह प्रार्थी को बैक डेट से नियुक्ति प्रदान करे।
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