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    Himachal High Court: अवैध कब्जे हटाने के आदेश का अध्ययन करने में जुटी सरकार, राजस्व मंत्री बोले- जनहित में लेंगे निर्णय

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 06:51 PM (IST)

    Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अवैध कब्जों को नियमित करने की नीति रद्द कर दी है जिसके बाद सरकार फैसले का अध्ययन कर रही है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार जनहित में निर्णय लेगी। उच्च न्यायालय ने अतिक्रमण को कानून के अनुसार हटाने के निर्देश दिए हैं। पहले भी सरकारों ने कब्जे नियमित करने के लिए कदम उठाए थे।

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    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का परिसर व राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के अवैधे कब्जों को लेकर आए आदेश के बाद सरकार फैसले का अध्ययन करने में जुट गई है। हिमाचल सरकार के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की इस पर प्रतिक्रिया भी आ गई है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रदेश सरकार जनहित में निर्णय लेगी।

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    सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे नियमित करने की नीति को रद करने के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्णय का अध्ययन किया जाएगा। उच्च न्यायालय का 45 पेज का आदेश आया है, इसकी प्रति प्राप्त करने के लिए कहा गया है।

    उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के पास जन कल्याण के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध रहते हैं। इस समय हमारे पास उच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करने का समय है और उसके बाद सरकार शीघ्रता से सार्थक निर्णय लेगी। उनका कहना है कि हमारा दायित्व है कि हम लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए कार्य करें। प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक दिन पहले ही सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे नियमित करने की नीति को रद करने के आदेश दिए थे।

    उच्च न्यायालय ने कहा था, हम मूक दर्शक बने नहीं रह सकते

    प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक दिन पहले ही अवैध कब्जे नियमित करने की नीति को रद करते हुए सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को कानून के अनुसार हटाना सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। उच्च न्यायालय ने भी कहा है कि राज्य सरकार का कर्त्तव्य सुशासन करना है। इस दृष्टि से अतिक्रमण से निपटने वाले मौजूदा कानूनों का कार्यान्वयन करना शामिल है।

    2002 से अवैध कब्जे नियमित करने के लिए सरकार ने कदम बढ़ाए थे

    पहली बार प्रदेश में वर्ष 2002 में धूमल सरकार ने पहली बार अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए नीति के तहत आवेदन मांगे थे। 15 अगस्त, 2002 तक 167339 आवेदनों में 24198 एकड़ भूमि पर कब्जों के नियमितीकरण की मांग की थी। उसके बाद वीरभद्र सरकार में 2027 में पांच बीघा तक भूमि पर कब्जे नियमित करने के लिए ड्राफ्ट नियम लाए गए। 2022 में जयराम सरकार ने शिमला शहर के कृष्णानगर में 1974 से पहले बने अवैध ढारों को नियमित करने का प्रविधान किया था।

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