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    Himachal High Court: अदालत का फैसला न मानने पर PWD सचिव को 25 हजार रुपये काॅस्ट, दो सप्ताह का अल्टीमेटम

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 06:45 PM (IST)

    Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अदालत के आदेश की अवहेलना करने पर लोक निर्माण विभाग के सचिव पर 25000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना राकेश कुमार को अनुकंपा नियुक्ति न देने के कारण लगाया गया। अब आदेश न मानने पर अदालत की अवमानना मानी जाएगी।

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    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव

    विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालत के आदेश न मानने पर लोक निर्माण विभाग के सचिव पर 25,000 रुपये की कॉस्ट लगाने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने उक्त अधिकारी को अदालती आदेश के बावजूद प्रार्थी राकेश कुमार को अनुकंपा आधार पर नियुक्ति न देने पर यह कॉस्ट लगाई है।

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    न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि बार बार समय देने के बावजूद अदालती आदेशों की अनुपालना न करना प्रतिवादियों के उदासीन रवैये को दर्शाता है।

    दो सप्ताह का समय दिया, कॉस्ट भी लगाई

    हालांकि कोर्ट ने महाधिवक्ता के अनुरोध पर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया और दोषी अधिकारी लोक निर्माण विभाग के सचिव को 25,000 रुपये की कॉस्ट के भुगतान के आदेश दिए।

    मुख्य न्यायाधीश आपदा राहत कोष में जमा करवाएं रकम

    यह कॉस्ट मुख्य न्यायाधीश आपदा राहत कोष 2025 में जमा करने के आदेश दिए गए हैं, जिसका खाता संख्या 18330110060070, आईएपएससी कोड यूसीबीए 0001833 है। मुख्य न्यायाधीश के आह्वान पर इस खाते में कोई भी नागरिक अथवा संस्था ऐच्छिक राहत राशि जमा करवा सकता है। कोर्ट ने उक्त अधिकारी को आदेश दिए हैं कि यदि अगली सुनवाई तक कॉस्ट जमा नहीं की गई तो यह अदालत की अवमानना होगी।

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    हाईकोर्ट के आदेश पर टीजीटी को अर्जित अवकाश का लाभ

    उधर, राज्य सरकार ने टीजीटी अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। अब जिन अध्यापकों की सेवाएं पिछली तिथि से नियमित की गई हैं, उन्हें अर्जित अवकाश का लाभ मिलेगा। हालांकि, इसके साथ किसी भी प्रकार का वित्तीय लाभ नहीं जोड़ा जाएगा। शिक्षा विभाग की ओर से सभी उप निदेशकों को जारी आदेश में कहा गया है कि यह निर्णय हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में लिया गया है। इसके साथ ही शिक्षा निदेशालय ने पूर्व में 8 मई 2025 को जारी पत्र को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है।

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