Himachal Pradesh: सरकार को बिना निचोड़े कुछ भी नहीं निकल रहा, हाई कोर्ट ने क्यों की इस तरह की तलख टिप्पणी
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने न्याय प्रदान प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए आवास जैसी मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करने में सरकार के ढुलमुल रवैये पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सरकार के सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों का पालन न करने पर खेद जताया जिससे अवमानना के मामले सामने आ रहे हैं।

विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने न्याय प्रदान प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए आवास जैसी मूलभूत सुविधा प्रदान करने में ढुलमुल रवैया अपनाने पर सरकार पर कड़ी टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने खेद जताया कि सरकार को बिना निचोड़े कुछ भी नहीं निकल रहा है।
प्रदेश सरकार अनेक मामलों में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के आदेशों का पालन न होने से अवमानना के मामलों का सामना कर रही है। न्यायाधीशों को आवास उपलब्ध करवाने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणियां की।
कोर्ट ने सरकार की ओर से दायर शपथपत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार कोर्ट को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए प्रभावी रूप से 13 आवास उपलब्ध करवाए गए हैं, जबकि 12 आवास की सूची का हवाला शपथपत्र में दिया गया है।
एक आवास लोकायुक्त के कब्जे में बताया गया है, जिसे टाइप-आठ श्रेणी का बताया गया है। कोर्ट ने कहा कि आवासों की सूची के अवलोकन से पता चलता है कि कर्जन हाउस, जिसे उच्च न्यायालय के पास आवंटन के लिए दिखाया गया है, का उपयोग उच्च न्यायालय के अतिथि गृह के रूप में किया जा रहा है ताकि अन्य राज्यों से शिमला आने वाले न्यायाधीशों को ठहराया जा सके। इसका कारण यह है कि सरकार के पास अच्छे आवास उपलब्ध नहीं हैं।
सरकार का कहना था कि सौंपे गए आवासों का हाई कोर्ट की ओर से उपयोग नहीं किया जा रहा है। इस दलील का कोर्ट ने खंडन करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय शिमला के कुलपति के लिए आवास की कमी के कारण हार्विंगटन एस्टेट शिमला में एक घर में रहने की अनुमति दी है। इसलिए यह बात सरकार के मुंह से अच्छी नहीं लगती की हाई कोर्ट की ओर से आवासों का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह अपने पास उपलब्ध आवासों में से हाई कोर्ट को विकल्प दे, क्योंकि सरकार की ओर से दी गई सूची के अनुसार ही पांच न्यायाधीश अपने स्वयं के आवास में रह रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा विकल्प दिया जाता है तो उनमें से कोई न्यायाधीश सरकार की ओर से दिए जाने वाले उक्त आवास का विकल्प चुन सकता है, बशर्ते आवास का विशिष्ट विवरण दिया गया हो। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 22 सितंबर को निर्धारित की है।
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