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    हिमाचल में HRTC के 422 घाटे के रूट होंगे सरेंडर, टेंपो ट्रैवलर चलाने की तैयारी, निजी ऑपरेटर को मिलेंगे परमिट

    By Anil Thakur Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Wed, 10 Dec 2025 03:39 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) 422 घाटे वाले रूटों को निजी ऑपरेटरों को सौंपने की तैयारी में है। सरकार इन रूटों पर टेंपो ट्रैवलर चलाने की योजन ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, शिमला। घाटे की मार झेल रहा हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) 422 रूटों को सरेंडर करने की तैयारी में है। निगम की ओर से इसका प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। सरकार इन रूटों को बंद नहीं करेगी, बल्कि इन्हें निजी ऑपरेटरों को दिया जाएगा। इन रूटों पर टेंपो ट्रैवलर चलाए जाएंगे।

    सरकार की इस नीति से न तो ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की कमी आड़े आएगी। वहीं घाटे का रूट लेने से ऑपरेटर आनाकानी करते हैं। टैंपो ट्रैवलर चलाना उनके लिए फायदे का सौदा साबित होगा। बड़ी बसों को चलाने से जो घाटा होता है वह भी नहीं होगा।

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    अब कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार

    इस मामले को अब कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही परिवहन विभाग इन रूटों को विज्ञापित करेगा। इस बार रूटों के लिए कुछ शर्ते भी बदली जा रही है। स्थानीय युवाओं को ही रूट लेने का मौका मिले इसका प्रविधान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में भी इसका एलान किया था। जिसके बाद विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है। 

    युक्तीकरण की प्रक्रिया हो रही शुरू

    एचआरटीसी का कुल घाटा 2200 करोड़ है। हर महीने 70 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। सरकार निगम को साल में 780 करोड़ का अनुदान देती है। निगम को घाटे से उबारने के लिए सरकार यहां पर भी व्यवस्था परिवर्तन करने जा रही है। पहले चरण में युक्तीकरण किया जा रहा है। इसके तहत कर्मचारियों को बदला जाएगा। यह प्रक्रिया मार्च से शुरू होगी।

    मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि एचआरटीसी में कर्मचारियों को समय पर वेतन व पेंशन मिले, इसके लिए युक्तीकरण सहित कुछ और सख्त कदम उठाए जाएंगे। 

    यह दिया तर्क

    सरकार का तर्क है कि ग्रामीण क्षेत्रों के रूटों पर काफी कम सवारियां रहती हैं, जिस कारण निजी ऑपरेटर ये रूट लेते ही नहीं हैं। सरकारी बस हर स्थान पर चलाना संभव नहीं है। टेंपो ट्रैवलर में सीटें कम होती हैं और उतनी सवारियां रूट पर मिल जाएंगी। ऐसे में न तो ऑपरेटर को घाटा होगा। लोगों को भी बेहतर यातायात सुविधा मिलेगी।

    वाहनों की स्थिति

    एचआरटीसी के बेड़े में 3180 बसें हैं, जबकि निजी क्षेत्र में करीब 3300 बसें चलती हैं। टेंपो ट्रैवलर आने से परिवहन व्यवस्था मजबूत होगी। खासतौर से ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को इसका बड़ा फायदा मिलेगा। एचआरटीसी खुद भी 100 टेंपो ट्रैवलर चलाने जा रहा है, जिसकी खरीद प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

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