Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमाचल सरकार ने नदियों से रेत-बजरी निकालने का जिम्मा वन निगम को सौंपा, कैबिनेट ने वन विभाग को जारी किया पत्र

    By Parkash Bhardwaj Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 06:52 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश सरकार ने बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब ब्यास और सतलुज जैसी नदियों से रेत, बजरी और पत्थर निकालने का काम वन निगम करेगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। सरकार ने वन विभाग को भी जरूरी अधिकार दिए हैं।

    Hero Image

    हिमाचल सरकार ने नदियों से रेत बजरी निकालने का जिम्मा वन निगम काे सौंपा है। प्रतीकात्मक फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में बाढ़ से होने वाले नुकसान का कारण बन रही ब्यास व सतलुज सहित अन्य नदियों से रेत-बजरी व पत्थर को निकाला जाएगा। इस कार्य को वन निगम करेगा। बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल में इस पर विस्तृत चर्चा की गई। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सतलुज और ब्यास ने मचाई थी तबाही

    मंत्रिमंडल ने वन भूमि पर खनिज रियायतों के अनुदान के लिए वन विभाग को आशय पत्र जारी करने का अधिकार प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान की। मानसून सीजन के दौरान ब्यास व सतलुज नदी ने भारी तबाही मचाई। 

    नदी नालों में खनन पर है प्रतिबंध

    नदियों के साथ खड्डों व नालों में अभी तक खनन पर प्रतिबंध है। सरकार ने इससे पहले ब्यास-सतलुज नदियों में खनन की अनुमति प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। 

    नदी में बहकर आए पत्थर व रेत-बजरी लोगों के लिए खतरा

    राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मंत्रिमंडल बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि नदियों में रेत, बजरी, पत्थर बहकर आए हैं। नदियों के किनारे बसे गांव व शहरों के लिए ये खतरा पैदा कर रहे हैं। बरसात में जो नुकसान हुआ है उसका सबसे बड़ा कारण यह भी थे। इसके चलते सरकार ने यह निर्णय लिया है।  

    यह भी पढ़ें: हिमाचल में कब होंगे पंचायत चुनाव, सरकार ने आचार संहिता का क्या तोड़ निकाला; क्या मंत्रिमंडल के फैसले के बाद गहराएगा टकराव? 

    नितिन गडकरी ने भी दिया था ड्रेजिंग का सुझाव 

    केंद्रीय सड़क, भू-तल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी बाढ़ के कारण हुए नुकसान को लेकर नदी को गहरा करने के लिए ड्रेजिंग करने का सुझाव दिया था। नदियों में हर साल पांच से सात फीट रेत, बजरी व पत्थर बहकर आते हैं, जो उनके तल को ऊंचा करते हैं। इसी कारण नुकसान हो रहा है। नदी अपना प्रवाह बदल रही हैं। कुल्लू, बिलासपुर, मंडी, सोलन, सिरमौर जिलों में वन संरक्षण अधिनियम लागू है। हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना व चंबा के कुछ हिस्सों में इस तरह का कानून नहीं है।

    यह भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में होगी 4 वर्षीय बीएड डिग्री, इन चार महाविद्यालयों का चयन; शिक्षक भर्ती के लिए बदलेगी पात्रता