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    हिमाचल के लिए क्या है खतरे की घंटी? भूकंपीय मानचित्र ने सतर्क की सरकार, ...तो भवन निर्माण नियम किए जाएंगे सख्त

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Mon, 08 Dec 2025 12:20 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में निर्माण नियमों में बदलाव होने वाला है, क्योंकि सरकार नए भूकंपीय मानचित्र के आधार पर विस्तृत योजना बना रही है। नए भवन निर्माण नियम सख ...और पढ़ें

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    हिमाचल प्रदेश के नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश के नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा है कि ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआइएस) के नए मानक आते ही प्रदेश में निर्माण नियमों की परिभाषा बदलने वाली है। भविष्य में निर्माण के नियम पूरी तरह नए होंगे। सरकार नए भूकंपीय मानचित्र को आधार बनाते हुए विस्तृत एक्शन प्लान तैयार कर रही है।

    उन्होंने यहां जारी बयान में कहा कि नए भवन निर्माण नियम पहले से कहीं अधिक सख्त होंगे। पुराने नियमों के अनुरूप बनने वाले ढांचे अब मान्य नहीं माने जाएंगे। प्रदेश के सभी सरकारी भवनों की तत्काल रिमैपिंग अनिवार्य होगी। जो भवन हाई रिस्क पाए जाएंगे, उनका स्ट्रक्चरल सेफ्टी आडिट अनिवार्य किया जाएगा। 

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    प्राकृतिक खतरे से पहले सुरक्षा की तैयारी

    धर्माणी का कहना है कि सरकार का प्रयास है कि किसी बड़े प्राकृतिक खतरे से पहले ही संरचनात्मक सुरक्षा को मजबूत कर लिया जाए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि निजी भवनों के लिए भी नए अनुपालन मानक जल्द लागू किए जा सकते हैं।

    हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    बीआइएस द्वारा हाल ही में जारी नए भूकंपीय मानचित्र ने हिमाचल के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इस मैप में संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र को सिस्मिक जोन-छह में शामिल किया है। जिसे अब तक का सबसे उच्च जोखिम वाला भूकंपीय जोन माना जा रहा है। इस परिवर्तन का सीधा असर हिमाचल पर पड़ेगा, जहां भूकंप का खतरा पहले से ही गंभीर माना जाता रहा है।

    जोन छह में अत्याधिक हो सकती है भूकंप तीव्रता

    जोन छह में शामिल क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर भूकंप की तीव्रता अत्यधिक हो सकती है। भूस्खलन और भूमि दरारों का जोखिम अधिक रहता है व कमजोर संरचनाएं बड़े हादसों का कारण बन सकती हैं। 

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    आधुनिक मानकों के अनुरूप मजबूती की आवश्यकता

    भूकंपीय विशेषज्ञों का मानना है कि हिमाचल में कई पुराने सरकारी भवन, स्कूल, अस्पताल और प्रशासनिक ढांचे इस जोखिम के दायरे में आते हैं। इन्हें अब आधुनिक मानकों के अनुरूप मजबूती की आवश्यकता होगी। सरकार अब आपदा प्रबंधन, भू-तकनीकी अध्ययन और सुरक्षित निर्माण माडल को भविष्य की प्राथमिकताओं में शामिल करने जा रही है।

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