Himachal Pradesh Disaster: हिमाचल आपदाग्रस्त राज्य घोषित, बजट में कटौती सहित हो सकते हैं ये बड़े बदलाव
Himachal Pradesh Disaster State हिमाचल प्रदेश को आपदाग्रस्त राज्य घोषित किया गया है जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा सत्र में की। राज्य में आपदा के कारण 300 से अधिक लोगों की जान गई है और 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने सत्र को तीन दिन और बढ़ाने की मांग की है।

जागरण टीम, शिमला। Himachal Pradesh Disaster State, हिमाचल प्रदेश को आपदाग्रस्त राज्य घोषित किया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को इसकी घोषणा की। प्रदेश में आपदा से तीन सौ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है व तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।
हिमाचल प्रदेश को पहली सितंबर से आपदा ग्रस्त राज्य घोषित कर कर दिया गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में मानसून की वर्षा जारी रहने तक हिमाचल आपदा ग्रस्त राज्य घोषित रहेगा और इसके बाद ही इससे संबंधित अधिसूचना को वापस लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश को आपदा ग्रस्त राज्य घोषित करने से संबंधित आदेश सभी उपायुक्तों को दे दिए गए हैं और आपदा प्रबंधन कानून की धारा 34 के तहत कार्रवाई करने को कहा गया है। आपदा ग्रस्त राज्य घोषित करने का निर्णय लिया गया है और इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। प्रदेश में बार-बार आई आपदा से सड़कों, पुलों, बिजली, पेयजल आपूर्ति योजनाओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
बजट में कटौती के साथ विधायक निधि से राहत कार्य संभव हो सकेंगे
मुख्य सचिव सह-सीइओ, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) प्रबोध सक्सेना ने हिमाचल प्रदेश को आपदा ग्रस्त राज्य घोषित करने के संबंधी सात बिंदुओं की अधिसूचना जारी कर दी है। आपदा राज्य घोषित होने के बाद सरकार विधायक निधि और सरकारी योजनाओं के बजट में कटौती कर आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए बजट जुटाने में सक्षम हो सकेगी। आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए सरकार नया सेस लगा सकेगी। कोरोना काल में भी राज्य सरकार ने कोविड सेस लगाया था।
केंद्र से भी अतिरिक्त मदद मिल सकेगी
आपदा ग्रस्त राज्य घोषित किए जाने के बाद केंद्र से भी राज्य को अतिरिक्त मदद मिल पाएगी। डिजास्टर मेनेजमेंट एक्ट लागू होने के बाद मौके का अधिकारी यानी डीसी, एडीएम और एसडी आदि आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए अपने स्तर पर फैसले ले सकेंगे। इसके लिए उन्हें सरकार व उच्च अधिकारियों से अनुमति लेने की औपचारिकताओं में नहीं उलझना पड़ेगा।
उपायुक्तों को दिए निर्देश
सभी जिला उपायुक्त आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 34 में मिली शक्तियों का इस्तेमाल करने को कहा। लोक निर्माण, जल शक्ति विभाग और राज्य बिजली बोर्ड को बिजली, पानी व सड़कों की बहाली का काम युद्ध स्तर पर करने को कहा गया है। सभी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को भी मोबाइल सेवाएं बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं।
सीएम सदन में बोले, मणिमहेश में 16 श्रद्धालुओं की हुई मौत
सत्र के दौरान प्रश्नकाल के दौरान व्यवधान के कारण पौने घंटे तक स्थगित रहने के बाद विधानसभा में मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक विशेष वक्तव्य में कहा कि चंबा जिले की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा में अब तक विभिन्न कारणों से 16 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। इनमें से चार श्रद्धालुओं के शव अभी भरमौर के कुगती में फंसे हैं, क्योंकि लगातार हो रही वर्षा के कारण इन्हें निकालना संभव नहीं है।
आपदा में फंसे युवा, परीक्षाओं को स्थगित किया जाए : जयराम
इस बीच, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि भरमौर में 500 से ज्यादा लोग अभी भी फंसे हुए हैं, क्योंकि ये लोग चलने की स्थिति में नहीं हैं। वहां सड़क, पानी और बिजली की सुविधा युद्ध स्तर पर बहाल की जाए, ताकि फंसे हुए लोगों को भरमौर से निकाला जा सके। उन्होंने कहा कि भरमौर और चंबा के अन्य हिस्सों के कुछ युवा फंसे हुए हैं और अपनी परीक्षा देने नहीं जा पा रहे हैं, यदि संभव हो तो परीक्षाओं को स्थगित किया जाना चाहिए।
सीएम ने रखी सत्र बढ़ाने की मांग
सीएम सुक्खू ने सत्र को तीन दिन और बढ़ने की मांग भी रखी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री और विपक्ष के नेता आदि से चर्चा करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत से प्रश्न नहीं लगे हैं, उनके जवाब आने हैं और विधायकों ने अपनी बात रखनी है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 18 अगस्त को आरंभ हुआ था और दो सितंबर तक चलना है। मानसून सत्र में पहली बार 12 बैठकें रखी हैं। सामान्य तौर पर पांच से सात बैठकें मानसून सत्र में होती हैं।
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