Himachal Assembly: 10 दिन में आपदा पर 12 घंटे की चर्चा में आखिर क्या निकला, ठोस नीति पर भी नहीं बन पाई बात
Himachal Pradesh Disaster हिमाचल प्रदेश विधानसभा में प्राकृतिक आपदाओं पर 12 घंटे से अधिक चर्चा हुई जिसमें 40 विधायकों ने लोगों के साथ खड़े रहने का संकल्प लिया। विधायकों ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का अनुरोध किया और भूमि खो चुके परिवारों को वन भूमि देने की मांग की। हालांकि ठोस नीति बनाने पर सहमति नहीं बन पाई।

प्रकाश भारद्वाज, शिमला। Himachal Pradesh Disaster, हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं के लगातार बढ़ते प्रभाव ने जनमानस को चिंतित कर दिया है। आसमान से बरसते पानी ने लोगों की उम्मीदों को भी प्रभावित किया है। विधायक भी इस संकट के समय में लोगों को ढाढस बंधा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान अब तक 10 बैठकों में विधायकों ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण हो रही विनाश लीला पर 12 घंटे और 10 मिनट तक चर्चा की। इस दौरान 40 विधायकों और मंत्रियों ने प्रदेश के लोगों के साथ खड़े होने का संकल्प लिया। कुछ विधायकों ने इस विनाश के लिए मानवीय कृत्यों को भी जिम्मेदार ठहराया।
हर विधायक ने कहा कि कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन संविधान के सर्वोच्च स्थल पर एकमत होकर आगे बढ़ने की सहमति नहीं बन पाई। इस आपदा के समय में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का अनुरोध किया गया। प्रदेश सरकार ने केंद्र से यह भी अनुरोध किया कि जिन परिवारों की भूमि बह गई है, उन्हें एक बीघा वन भूमि देने की छूट प्रदान की जाए।
केंद से 3578.63 करोड़ मिले, विशेष पैकेज नहीं
केंद्र सरकार ने तीन वर्ष में 3578.63 करोड़ रुपये की सहायता दी है, लेकिन विशेष सहायता पैकेज की मांग लंबित है। हिमाचल सरकार ने 4500 करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की थी, उसके अनुसार मदद दी जा रही है। वर्ष 2023 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंडी में आपदा राहत के लिए 100 करोड़ रुपये की घोषणा की थी।
इसके तहत बेघर हुए परिवारों को सात लाख रुपये, आंशिक नुकसान पर एक लाख रुपये और शहरी क्षेत्रों में किराये के लिए 10 हजार रुपये तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पांच हजार रुपये देने की योजना बनाई गई है। विपक्षी भाजपा ने 2023 से अब तक केंद्र से विभिन्न मदों में 3578.63 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त होने की जानकारी दी है। इसके साथ ही, एसडीआरएफ के तहत केंद्रीय हिस्सेदारी में 1280.40 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
ठोस नीति निर्माण की दिशा में सहमति नहीं बनी
नदियों और नालों की ड्रेजिंग कब शुरू होगी, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न बना हुआ है। 2023 में भी इस विषय पर चर्चा हुई थी, लेकिन ठोस नीति निर्माण की दिशा में कोई सहमति नहीं बन पाई है।
विधायक बोले, जनता को हमारी जरूरत
- लाहुल-स्पीति में प्राकृतिक आपदा के प्रभावों पर चर्चा करते हुए अनुराधा राणा ने बताया कि यहां नुकसान कम है, लेकिन मनाली और कुल्लू में सड़कें ध्वस्त होने के कारण किसानों की तैयार फसलों, जैसे ब्रोकली, गोभी और मटर, को बाजार तक पहुंचाने में कठिनाई आ रही है। कुछ किसान लेह के लिए ब्रोकली जहाज से भेजने की व्यवस्था कर रहे हैं। राणा ने कहा कि वह प्रशासन से संपर्क कर किसानों की फसलों को भेजने की व्यवस्था में जुटी रहेंगी। अब लाहुल स्पीति में ही रहूंगी।
- डीएस ठाकुर ने कहा कि 40 से अधिक पंचायतों में 600 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने अपने लोगों के बीच रहने का निर्णय लिया है।
- सुंदर ठाकुर ने बताया कि तीन गांव धंस रहे हैं, लेकिन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रबंध किए गए हैं। मेरा यहां रहना जरूरी है।
- सुरेंद्र शौरी ने कहा कि सड़कें बाधित होने के कारण वह बंजार नहीं जा सके, लेकिन शिमला से लोगों के संपर्क में हैं और प्रशासन को दिशा-निर्देश दे रहे हैं।
- भुवनेश्वर गौड़ ने कहा कि उनके गांव में सड़कें क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने सदन के शेष दो दिनों के लिए उपस्थित नहीं रहने का निर्णय लिया है और लोगों के बीच रहने का मन बनाया है।
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