मनी लॉन्ड्रिंग केस: ईडी ने वीरभद्र से नौ घंटे से अधिक की पूछताछ
पूछताछ में वीरभद्र सिंह के सामने उन्हीं के आवास से जब्त दस्तावेजों को रखा गया। ये दस्तावेज आय से अधिक संपत्ति से संबंधित हैं। ...और पढ़ें
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह गुरुवार को नई दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने हाजिर हुए। मनी लांड्रिंग मामले में जांच एजेंसी ने गुरुवार को उनसे नौ घंटे से भी ज्यादा समय तक सख्ती से पूछताछ की। वह पूछताछ के लिए दिन के 12 बजे पहुंचे थे और रात 9.20 पर बाहर आए। वह पत्रकारों से बात किए बिना चले गए। हालांकि उन्हें यह कहते सुना गया कि, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए कातिल में है।
पूछताछ में उनके सामने उन्हीं के आवास से जब्त दस्तावेजों को रखा गया। ये दस्तावेज आय से अधिक संपत्ति से संबंधित हैं। पिछले दिनों पूछताछ के लिए भेजे गए नोटिसों के जवाब में सिंह ने अपनी आधिकारिक व्यस्तता का हवाला देकर पेश होने में असमर्थता जताई थी। उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटे विक्रमादित्य सिंह के बयान पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं। लेकिन 18 अप्रैल को भेजे गए नोटिस में उन्हें गुरुवार को हाजिर होने को कहा गया था। प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री को गिरफ्तार नहीं करने का भरोसा देने से मना कर दिया था।
जांच एजेंसी के इस सख्त रुख से सिंह की गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई थी। हाईकोर्ट के जस्टिस आरके गाबा की पीठ के समक्ष सुनवाई में सिंह ने अपने खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले को रद करने की दलील रखी थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ सितंबर, 2015 में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया था। यह संपत्ति उन्होंने केंद्र में स्टील मंत्री रहते हुए अर्जित की है। इस मामले में जांच एजेंसी उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करा चुकी है। आय के ज्ञात स्त्रोत से दस करोड़ की ज्यादा संपत्ति के इस मामले में उनके साथ उनकी पत्नी को भी आरोपी बनाया गया है। सीबीआइ में दर्ज शिकायत के आधार पर ही ईडी ने भी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।
इन एजेंसियों को वर्ष 2009 से 2011 के बीच केंद्रीय स्टील मंत्री के कार्यकाल के संबंध में शिकायत मिली थी। अब तक उनके और परिवार के लोगों की 14 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। अपने आरोपपत्र में सीबीआइ ने कहा है कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्होंने दस करोड़ से ज्यादा की संपत्ति बनाई। यह उनकी घोषित आय से 192 प्रतिशत अधिक की है। इस मामले में मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी और बेटे के अलावा कई और लोग आरोपी बनाए गए हैं। जीवन बीमा खरीदने में अघोषित आय का इस्तेमाल करने वाले एलआइसी एजेंट आनंद चौहान को पिछले साल गिरफ्तार किया जा चुका है। उनके दिल्ली स्थित फार्म हाऊस को पहले ही जब्त कर लिया गया है।

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