हिमाचल हाई कोर्ट ने तत्कालीन PWD सचिव को किया तलब, अदालत को गुमराह करने पर मांगा स्पष्टीकरण
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने PWD के तत्कालीन सचिव अभिषेक जैन को अदालत को गुमराह करने के मामले में तलब किया है। कोर्ट ने पूछा कि राष्ट्रीय राजमार्ग अतिक् ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट परिसर। जागरण आर्काइव
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालत को गुमराह करने से जुड़े मामले में तत्कालीन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सचिव अभिषेक जैन को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर अतिक्रमण से जुड़े मामले में पुनरीक्षण याचिका का निपटारा करते हुए चार जून 2025 को पारित परंतु 25 जुलाई 2025 को हस्ताक्षरित आदेश को कैसे कायम रखा जा सकता है।
कोर्ट ने उक्त अधिकारी को यह विस्तृत जानकारी देने के आदेश भी दिए कि वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा दिए ड्राफ्ट के आधार पर अर्ध न्यायिक आदेश पारित करने और उस पर साइन करने को कैसे सही ठहरा सकते हैं।
जनहित और रिट याचिका की संयुक्त सुनवाई पर आदेश
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने यह आदेश एक जनहित याचिका और रिट याचिका की संयुक्त सुनवाई के पश्चात जारी किए। इस मामले में एकलपीठ ने 14 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के पश्चात पाया था कि पुनरीक्षण याचिका में पारित विवादित आदेश में दिखाई गई निर्णय की तारीख चार जून 2025 है, जबकि उस पर उपरोक्त अधिकारी के हस्ताक्षर की तारीख 25 जुलाई 2025 है।
खंडपीठ के सामने दिया था गलत बयान
एकलपीठ ने रिकार्ड खंगालने के पश्चात पाया था कि 21 जुलाई 2025 को जनहित याचिका में खंडपीठ के सामने यह गलत बयान दिया था कि याचिकाकर्ता की पुनरीक्षण याचिका पर 21 जुलाई 2025 को निर्णय हो गया था। इसलिए यह सब पहली नजर में दिखाता है कि उपरोक्त अधिकारी ने यह विवादित आदेश नहीं लिखा था, बल्कि इसे सबसे पहले संबंधित कार्यालय के क्लर्क स्तर के अधिकारी ने तैयार किया था।
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जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली प्रिंसिपल डिवीजन बैंच के ध्यान में लाई जाएं बातें
एकलपीठ का मानना था कि रिकार्ड से एक बात साफ हो गई कि उपरोक्त अधिकारी ने 21 जुलाई 2025 को मामले पर निर्णय किया ही नहीं और खंडपीठ को बताया कि 21 जुलाई को मामले का निपटारा कर दिया गया था। एकलपीठ ने आदेश जारी कर कहा था कि इन खास हालात में यह न्याय के हित में होगा कि ये सभी बातें जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली प्रिंसिपल डिवीजन बैंच के ध्यान में लाई जाएं, ताकि कोर्ट को गुमराह करने वाले संबंधित आफिसर के विरुद्ध सही एक्शन लिया जा सके। इसलिए रजिस्ट्री को आदेश दिया था कि रिट याचिका को प्रिंसिपल डिवीजन बैंच के सामने सूचीबद्ध किया जाए। पुनरीक्षण अथारिटी का रिकार्ड भी एक सीलबंद लिफाफे में प्रिंसिपल डिवीजन बैंच के सामने रखने के आदेश दिए थे।

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