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    हिमाचल हाई कोर्ट ने हाईवे निर्माण में लापरवाही पर सरकार से किया जवाब तलब, अधीक्षण अभियंता से मांगा स्पष्टीकरण

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Thu, 16 Oct 2025 12:08 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हमीरपुर-मंडी राजमार्ग को चौड़ा करने में अवैज्ञानिक तरीकों पर सरकार से जवाब मांगा है। न्यायालय ने राजमार्ग की खराब स्थिति पर अधीक्षण अभियंता से स्पष्टीकरण तलब किया है। न्यायालय ने अधिकारी के लापरवाहीपूर्ण हलफनामे पर नाराजगी जताई, जिसमें सड़क की वास्तविक स्थिति को छुपाने का प्रयास किया गया था।

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    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने हमीरपुर से मंडी खंडों के बीच राजमार्ग को दो लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग मानकों के अनुसार चौड़ा करने में अवैज्ञानिक तरीका अपनाने पर संज्ञान लिया है। कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जियालाल भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। 

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    याचिकाओं में बताया कि मौजूदा परियोजना एक पहाड़ी इलाके से होकर गुजरती है और मौजूदा सड़क 124 किलोमीटर लंबी है और चौड़ाई में 109.592 किलोमीटर बताया है। इसके लिए 104 किलोमीटर लंबाई के लिए भूमि अधिग्रहण प्रस्तावित है। पांच किलोमीटर लंबाई के लिए कुछ मरम्मत कार्य प्रस्तावित है, क्योंकि कुछ हिस्से को दो लेन के रूप में विकसित किया जा चुका है। 

    97 गांवों से होकर गुजरता है हाईवे

    यह राजमार्ग छह तहसीलों (हमीरपुर, भोरंज, सरकाघाट, धर्मपुर, कोटली और मंडी) और 97 गांवों से होकर गुजरता है। ठेकेदारों द्वारा जिस अवैज्ञानिक तरीके से यह प्रक्रिया की जा रही है, जिसके कारण भूस्खलन, मलबा, पत्थर गिर रहे हैं। सामग्री नाले में गिर रही है, जिससे पानी का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध हो रहा है। इससे क्षेत्र के कई लोगों के घरों और कृषि भूमि को नुकसान हुआ है। याचिका में विभिन्न तस्वीरें भी संलग्न की गई हैं।

    कोर्ट में आकर सड़क की स्थिति का स्पष्टीकरण दें अधीक्षण अभियंता

    वहीं, प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला से ठियोग तक राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की दयनीय स्थिति पर संबंधित अधिकारी की उदासीनता पर संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जियालाल भारद्वाज ने जनहित याचिका के दौरान वर्तमान अधीक्षण अभियंता रतन कुमार शर्मा द्वारा दायर हलफनामे का अवलोकन करने पर इसे लापरवाही बताया। कोर्ट ने अधिकारी को कोर्ट में आकर अपना स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए। 

    लापरवाही से दायर किया हलफनामा

    कोर्ट ने अधिकारी से पूछा है कि उसने हलफनामा लापरवाही से क्यों दायर किया, जिसमें रिकार्ड के विपरीत तस्वीर पेश करने की कोशिश की गई है। वह कारण बताएं कि उन पर क्यों न जुर्माना लगाया जाए। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान हलफनामे में यह दिखाने का प्रयास किया है कि वर्षा के कारण उक्त राजमार्ग की मरम्मत का कार्य नहीं हो सका। हलफनामे में वर्ष 2023 से 2025 के बीच हिमपात का उल्लेख भी रिकार्ड के विरुद्ध किया गया क्योंकि दिसंबर 2024 में हिमपात न्यूनतम था। 

    अधिकारी ने कभी सड़क का दौरा ही नहीं किया

    कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट है कि उक्त अधिकारी ने कभी भी संबंधित स्थल/सड़क का दौरा नहीं किया। इसकी दयनीय स्थिति से आम जनता को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। यह सड़क हिमाचल के आंतरिक भाग की ओर जाने वाली मुख्य सड़कों में से एक है जो रामपुर और किन्नौर जिले को जोड़ती है और आगे पुराने तिब्बत तक जाती है। कोर्ट ने कहा कि इस सड़क को दिए जा रहे महत्व का अभाव हलफनामे से स्पष्ट है। कोर्ट ने इस आदेश की एक प्रति मुख्य सचिव को भी उनकी जानकारी के लिए भेजने के आदेश दिए।

     

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