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    हिमाचल शिक्षा विभाग ने नियमों का हवाला देकर खारिज कर दिया मातृत्व अवकाश, हाई कोर्ट ने दिया टीचर के हक में निर्णय

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Wed, 19 Nov 2025 11:26 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग ने एक महिला शिक्षक को मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद महिला शिक्षक ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के फैसले को रद्द करते हुए महिला शिक्षक के हक में फैसला सुनाया और कहा कि मातृत्व अवकाश एक महिला का संवैधानिक अधिकार है।

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    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि विशेष परिस्थिति में महिला कर्मचारी तीसरा बच्चा होने पर भी 12 सप्ताह के मातृत्व अवकाश का लाभ लेने का हक रखती है। प्रार्थी ने तीसरा बच्चा होने पर मातृत्व अवकाश के लिए शिक्षा विभाग के समक्ष आवेदन किया था जिसे नियमों का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था। 

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    प्रार्थी अनुराधा शर्मा के पहली शादी से दो बच्चे हैं और दूसरी शादी के बाद पहला बच्चा पैदा हुआ है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अपने तीसरे बच्चे के जन्म के लिए उसके द्वारा आवेदन की गई मातृत्व अवकाश की तिथि से 12 सप्ताह की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश का हक रखती है।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रार्थी तीसरे बच्चे के जन्म के लिए नियमानुसार 180 दिन के बजाय 84 दिन के मातृत्व अवकाश की हकदार है। सामान्यतः बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश 180 दिन का होता है और केवल दो बच्चों तक ही दिया जाता है।

    पहले पति से हो गया है तलाक

    याचिकाकर्ता की पहली शादी पति द्वारा क्रूरता और परित्याग के कारण तलाक में समाप्त हो गई थी और उसे अपना और अपनी दो बेटियों का पालन-पोषण खुद करना पड़ा। उसकी पहली शादी से पैदा हुआ दूसरा बच्चा कथित तौर पर एक लाइलाज तंत्रिका संबंधी बीमारी से पीड़ित है।

    याचिकाकर्ता ने की है दूसरी शादी

    याचिकाकर्ता ने ऐसे व्यक्ति से दूसरी शादी की, जिसने अपनी पत्नी और एकमात्र बच्चे को सड़क दुर्घटना में खो दिया था। आठ अगस्त, 2025 को याचिकाकर्ता से पैदा हुआ बच्चा दंपती का पहला बच्चा है, परंतु यह प्रार्थी का तीसरा जैविक बच्चा है।

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    2005 में हुआ था पहला विवाह

    याचिकाकर्ता ने वर्ष 2002 में एक नियमित प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (कला) के रूप में सरकारी सेवा में प्रवेश किया। उसका विवाह 17 नवंबर, 2005 को हुआ था। इस विवाह से वर्ष 2007 और 2012 के दौरान उसके दो बच्चे पैदा हुए। अब यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश का कोई प्रविधान नहीं है।

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