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    हिमाचल: बीएड व डीएलएड प्रशिक्षुओं के इंटर्नशिप नियम तय, शिक्षा मंत्री ने दिए निर्देश; निदेशालय ने खाका किया तैयार

    By Anil Thakur Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Wed, 19 Nov 2025 06:31 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में शिक्षा मंत्री ने बीएड और डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए इंटर्नशिप के नियम निर्धारित कर दिए हैं। बीएड प्रशिक्षुओं को चार सप्ताह और डीएलएड प्रशिक्षुओं को तीन सप्ताह की इंटर्नशिप सरकारी स्कूलों में करनी होगी। इन नियमों का उद्देश्य प्रशिक्षुओं को शिक्षण का अनुभव प्रदान करना है, जिसके लिए निदेशालय ने स्कूलों का चयन कर लिया है।

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    हिमाचल प्रदेश में बीएड व डीएलएड प्रशिक्षुओं के इंटर्नशिप नियम बदल गए हैं। प्रतीकात्मक फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी और निजी कॉलेजों से बीएड (बैचलर आफ एजुकेशन) और डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन) करने वाले प्रशिक्षु अब अपने पैतृक स्थान पर इंटर्नशिप कर सकेंगे। साथ ही एक स्कूल में पांच से अधिक प्रशिक्षुओं को नहीं भेजा जाएगा। 

    शिक्षा विभाग ने इंटर्नशिप के लिए नए नियम निर्धारित किए हैं। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने इन नियमों का खाका तैयार कर लिया है और जल्द ही सभी निजी और सरकारी बीएड कालेजों को इस संबंध में पत्र जारी किया जाएगा।

    विभाग ने यह निर्णय इसलिए लिया गया है, ताकि प्रशिक्षु बेहतर तरीके से शिक्षण कार्य सीख सकें और स्कूलों में पढ़ाई का माहौल भी खराब न हो। पैतृक स्थान पर प्रशिक्षण का निर्णय ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के स्कूलों में प्रशिक्षुओं को भेजने के लिए किया गया है।

    बीएड और डीएलएड कालेज ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में होते हैं, जिससे प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण के लिए शहर के आसपास के सरकारी या निजी स्कूलों में भेजा जाता है। एक ही स्कूल में अधिक प्रशिक्षुओं के होने से न तो वे कुछ सीख पाते हैं और न ही पढ़ाई का माहौल सही रहता है।

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    दूसरे सेमेस्टर में 30 दिन की इंटर्नशिप

    बीएड डिग्री दो साल की होती है, जिसमें कुल चार सेमेस्टर होते हैं। पहले सेमेस्टर में कालेज में पढ़ाई होती है, जबकि दूसरे सेमेस्टर में प्रशिक्षुओं को 30 दिन तक स्कूलों में भेजा जाता है। इंटर्नशिप के दौरान उन्हें स्कूल में प्रशासनिक कार्यों, रिकार्ड मेंटेनेंस जैसी चीजें सिखाई जाती हैं। इसमें हाजिरी का रिकार्ड रखना, गैर शैक्षिक कार्य करना, लैब के कार्य, बच्चों के दाखिले से जुड़ा रिकार्ड और पुस्तकालय का रिकार्ड शामिल है।

    तीसरे सेमेस्टर में चार माह की टीचर प्रैक्टिस

    तीसरे सेमेस्टर में चार माह  प्रशिक्षुओं की टीचिंग प्रैक्टिस अनिवार्य है। इस दौरान स्कूल में जाकर कक्षाओं में पढ़ाना सीखते हैं। बच्चों को कैसे पढ़ाना है, होमवर्क कैसे चैक करना है, टेस्ट लेने से लेकर अन्य तरह की शैक्षिक गतिविधियों को प्रशिक्षु सीखते हैं। चौथा पूरा सेमेस्टर कालेज में ही पढ़ाई करते हैं। इस दौरान वार्षिक परीक्षाएं भी आयोजित की जाती है। 

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    इस साल यह भी लाभ 

    इस वर्ष पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव प्रस्तावित हैं, जिससे शिक्षकों की चुनावी ड्यूटियां लगेंगी और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। नई व्यवस्था के तहत हर स्कूल में प्रशिक्षु जाएंगे, जिससे एक वैकल्पिक व्यवस्था बनेगी और बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी। वर्तमान में एक ही स्कूल में 20 से 25 बच्चों को भेजा जाता है, जिससे अव्यवस्थाएं होती हैं और प्रशिक्षु भी अधिक नहीं सीख पाते।