हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश का पालन न करने पर लगाई 10 हजार रुपये की कास्ट
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग पर हेडमास्टरों के प्रतिवेदन पर विचार न करने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ताओं ने पदोन्नति वेतन वृद्धि की मांग की थी, लेकिन विभाग ने कोई विचार नहीं किया। न्यायालय ने विभाग को विचार करने का आदेश दिया था, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग पर हेडमास्टरों के प्रतिवेदन पर विचार को लेकर दिए आदेश पर अमल न करने पर 10 हजार रुपये की कास्ट लगाई है। याचिकाकर्ताओं ने शिक्षा विभाग के समक्ष प्रतिवेदन दायर कर उन्हें पदोन्नति वेतनवृद्धि (प्रमोशनल इंक्रीमेंट) देने की मांग की है।
जब विभाग ने उनके प्रतिवेदन पर कोई विचार नहीं किया तो उन्हें मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इसके बाद हाई कोर्ट ने फैसला दिया।
आदेश के बावजूद नहीं की कार्रवाई
कोर्ट ने शिक्षा विभाग को उनके प्रतिवेदन पर कानून के दायरे में रहते हुए विचार करने के आदेश दिए थे। फिर भी जब शिक्षा विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया तो उन्हें अलग-अलग अनुपालन याचिका दायर करनी पड़ी। कोर्ट द्वारा बार-बार समय देने के बावजूद शिक्षा विभाग ने हेडमास्टरों की मांग पर विचार नहीं किया जिस कारण कोर्ट को कास्ट लगानी पड़ी।
प्रमोशनल इंक्रीमेंट नहीं दी
याचिकाकर्ताओं को जेबीटी से हेडमास्टर के तौर पर पदोन्नत किया गया था, लेकिन उन्हें प्रमोशनल इंक्रीमेंट नहीं दी। प्रार्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि शिक्षा विभाग को आदेश दिए जाएं कि वह याचिकाकर्ताओं को प्रमोशनल इंक्रीमेंट का लाभ दे।
डिजास्टर रिलीफ फंड में जमा करने का आदेश
न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने दो अलग-अलग मामलों में लगाई इस कास्ट को ‘चीफ जस्टिस डिजास्टर रिलीफ फंड 2025’ में जमा करने के आदेश दिए हैं।
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