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    Himachal Govt Schools: हिमाचल के सरकारी स्कूलों की होगी ग्रेडिंग, हर साल विद्यालय को मिलेगा ग्रेड

    By Anil Thakur Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Sun, 12 Oct 2025 04:49 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए ग्रेडिंग प्रणाली शुरू की है। स्कूलों का मूल्यांकन प्रदर्शन, परिणाम और मानकों पर होगा। ग्रेडिंग से स्कूलों को अपनी कमियों का पता चलेगा और सुधार के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार का लक्ष्य है कि सभी छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले, जिसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

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    हिमाचल के सरकारी स्कूलों की ग्रेडिंग भी की जाएगी। प्रतीकात्मक फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधार की दिशा में राज्य सरकार अब एक और बड़ा फैसला लिया है। सरकार राज्य के हर सरकारी स्कूलों की ग्रेडिंग करेगी। इसके लिए मानक तय कर दिए गए हैं। स्कूलों को हर साल ए (एक्सीलेंट), बी (गुड), सी (आंकाक्षी) श्रेणियों में बांटा जाएगा। स्कूल कॉम्प्लेक्स प्रणाली के तहत यह प्रविधान किया गया है।

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    समग्र शिक्षा अभियान को ग्रेडिंग करवाने का जिम्मा सौंपा गया है। विभाग के अनुसार यह ग्रेडिंग स्कूल में मौजूद मूलभूत सुविधाओं, परीक्षा परिणाम, विद्यार्थियों की संख्या, खेल के क्षेत्र में विद्यार्थियों का योगदान पर तय की जाएगी।

    विभाग का तर्क है कि ग्रेडिंग की व्यवस्था करने के पीछे स्कूलों में सुधार करना है। संस्थान आने वाले दिनों में शिक्षक पुरस्कार के लिए संस्थान को भी शामिल करने जा रहा है। स्कूलों में अब अच्छा ग्रेड लेने की प्रतिस्पर्धा होगी तो कुछ सुधार तो अपने आप होना शुरू हो जाएंगे।

    उच्च स्तर के अधिकारी भी करेंगे निरीक्षण

    जो बी व सी श्रेणी में आएंगे वह अगले साल के लिए ए श्रेणी में आने के लिए प्रयास करेंगे। सी श्रेणी वाले कांप्लेक्स का निरीक्षण उच्च स्तर के अधिकारी करेंगे। शिक्षक और विद्यार्थी अपनी समस्याएं कांप्लेक्स स्तर पर गठित समिति के माध्यम से उठा सकेंगे। भौगोलिक स्थिति के अनुसार निदेशक शामिल किए जाने वाले स्कूलों को बदल भी सकेंगे।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हो रहा काम

    हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप स्कूल प्रशासन को आधुनिक बनाने के लिए स्कूल कांप्लेक्स सिस्टम को लागू किया है। इसके कई ऐसे प्रविधान हैं जिन पर अभी तक काम नहीं हुआ है। निदेशक स्कूल शिक्षा आशीष कोहली ने बताया कि स्कूलों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत प्रत्येक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को एक नोडल-लीडर स्कूल बनाया गया है।

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    प्रधानाचार्यों को हर दो माह में सभी अधीनस्थ स्कूलों का निरीक्षण कर पूरा दिन वहांं बिताना होगा। सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी स्कूल या कक्षा में शिक्षक की कमी न रहे। उन्होंने कहा कि इन पहलों के परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे।

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