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    Shimla News: हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सड़े सेबों से निजात दिलाने के लिए तंत्र विकसित करने के दिए आदेश

    By narveda kaundalEdited By: Deepak Saxena
    Updated: Mon, 09 Oct 2023 09:22 PM (IST)

    सड़े हुए सेबों की समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसके लिए अन्य प्रतिवादियों से विचार विमर्श कर शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए हैं।

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    हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सड़े सेबों से निजात दिलाने के लिए तंत्र विकसित करने के दिए आदेश।

    विधि संवाददाता, शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिए हैं कि वह सड़े हुए सेबों की समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई तंत्र विकसित करें। कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसके लिए अन्य प्रतिवादियों से विचार विमर्श कर शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 3 जनवरी 2024 को निर्धारित की है।

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    सड़े सेबों का निपटान ठोस अपशिष्ट के माध्यम से करें: कोर्ट

    कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि सड़े सेबों का निपटान कंपोस्टिंग या ठोस अपशिष्ट के माध्यम से किया जा सकता है। ऐसा करने से प्रदेश में न तो कूड़े की समस्या रहेगी और न ही सड़े सेबों की डंपिंग की। कोर्ट ने पिंजौर-परवाणू हाईवे पर सड़े हुए सेब के ट्रकों को खड़े करने पर संज्ञान लिया है। इस संबंध में दैनिक समाचार पत्र में खबर छपी थी कि राज्य में प्रवेश करने वाले पर्यटकों को नेशनल हाईवे-5 के पिंजौर-परवाणू के किनारे खड़े सेबों से लदे ट्रकों से निकलने वाली बदबू परेशान करती है।

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    बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत होगी खरीददारी

    बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत खरीद की प्रतीक्षा में यात्री राजमार्ग के किनारे लगे बोरियों में सेब लदे ट्रकों को देख सकते हैं। गुणवत्ता वाले सेब को बाजार में बेचा जाता है, शेष को बोरियों में पैक किया जाता है और खरीद के लिए परवाणू पहुंचाया जाता है। फल की खरीद करने वाले ठेकेदारों को एचपीएमसी और हिमफेड की ओर से काम सौंपा जाता है।

    कई बार ट्रक वालों को खरीद के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है और अधिक तापमान के कारण फल सड़ने लगते हैं। हिमाचल की यात्रा करने वाले पर्यटकों को इस दुर्गंध के साथ राज्य में स्वागत किया जाता है। एचपीएमसी के अधिकारी ट्रकों की कमी की दलील देते हैं।

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