बाढ़ प्रभावित मनाली हाईवे पर बनेंगी सुरंगे व फ्लाईओवर, NHAI ने जारी किए 100 करोड़; 10 जगह ब्यास में समा गया है फोरलेन
Chandigarh Manali Highway कुल्लू-मनाली खंड पर भूस्खलन और बाढ़ से हुए नुकसान के बाद एनएचएआई ने सुधार कार्यों के लिए 100 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। सुरंगों और फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा। एनएचएआई के अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने अधिकारियों के साथ बैठक की और तत्काल मरम्मत के निर्देश दिए।

जागरण संवाददाता, मंडी। Chandigarh Manali Highway, कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर भूस्खलन व बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब सुरंगों तथा फ्लाईओवर का निर्माण होगा। पिछले दो वर्षों में प्राकृतिक आपदा व ब्यास नदी की बाढ़ से मंडी से मनाली तक इस मार्ग को भारी क्षति पहुंची हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, क्षेत्रीय कार्यालय शिमला व फील्ड के अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।
दो दिन में 100 करोड़ रुपये किए स्वीकृत
उन्होंने पंडोह टकोली व कुल्लू मनाली खंड पर तत्काल बहाली व सुधार कार्य करने के निर्देश दिए। अल्पकालिक सुधार के लिए और 60 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। पिछले कल 40 करोड़ की सड़क सुधार कार्य के लिए स्वीकृत की गई थी। कुल 100 करोड़ रुपये से मनाली हाईवे को चकाचक किया जाएगा।
10 जगह ब्यास में समा गया है फोरलेन
पुनर्निर्माण कार्य में कुल्लू व मनाली खंड के 10 स्थान शामिल हैं, जो ब्यास नदी के तेज वेग में पूरी तरह बह गए हैं। छह स्थान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके कारण मनाली का प्रदेश के बाकी हिस्सों से संपर्क कट गया है। लोक निर्माण विभाग के बनाए गए वैकल्पिक मार्ग को भी क्षति पहुंची है। इस कारण केवल छोटे वाहनों को वहीं से डायवर्ट किया गया है। एनएचएआई ने लोक निर्माण विभाग को इस मार्ग की त्वरित बहाली व रखरखाव के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।
क्षेत्रीय कार्यालय को जारी की धनराशि
संतोष कुमार यादव ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यालय शिमला को पर्याप्त धनराशि जारी कर दी गई है। उपलब्ध अनुबंधकर्ता को युद्धस्तर पर बहाली कार्य के लिए मोबलाइज किया गया है। इसके अलावा वर्षा व बाढ़ से क्षतिग्रस्त अन्य स्थलों की स्थायी बहाली भी की जाएगी।
स्थायी समाधान के लिए बन रही योजना
स्थायी बहाली के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है। इसमें सुरंग निर्माण, ऊंचे ढांचे व ढलानों का स्थिरीकरण जैसी संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। संवेदनशील हिस्सों के लिए दीर्घकालिक समाधान की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। चार व सात मील में भी सुरंगें बनेंगी। इसका प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया है।
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