हिमाचल में 2000 किलोमीटर लंबी सड़कें होंगी चकाचक, 500 नए रोड बनाने का भी एलान
हिमाचल प्रदेश (Himachal News) में सड़क नेटवर्क को मजबूत करने के लिए लोक निर्माण विभाग 2000 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड करेगा। पीएमजीएसवाई-3 योजना के तहत 679 किलोमीटर सड़के तथा एफडीआर और सीटीबी के तहत 468 किलोमीटर सड़कें बनाई जाएंगी। अन्य सड़कें पारंपरिक तकनीक से बनाई जाएंगी। पीएमजीएसवाई-4 योजना के तहत 900 किलोमीटर सड़कों की डीपीआर तैयार की जानी प्रस्तावित है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। राज्य लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश में सड़क नेटवर्क को सुदृढ़ करने के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा पीएमजीएसवाई-3 योजना के तहत 2000 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड किया जाएगा
उन्होंने कहा 679 किलोमीटर सड़कें एफडीआर और 468 किलोमीटर सड़कें सीटीबी के तहत बनाई जाएंगी। अन्य सड़कें पारंपरिक तकनीक से बनाई जाएंगी। पीएमजीएसवाई-4 योजना के तहत 900 किलोमीटर सड़कों की डीपीआर तैयार की जानी प्रस्तावित है, जिनका निर्माण पीएमजीएसवाई-1 के तहत पहले ही शुरू हो चुका है।
625 किमी सड़कों की होगी टायरिंग
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वर्ष 2025-26 में 625 किलोमीटर नई सड़कों पर टायरिंग का कार्य शुरू किया जाएगा, जिनमें से 425 किलोमीटर सड़कें नाबार्ड और 200 किलोमीटर सड़कें विशेष क्षेत्र विकास, केन्द्रीय सड़क और अवसंरचना कोष एवं मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत तैयार की जाएंगी।
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500 नई सड़कें बनेगी
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 2025-26 में 500 नई सड़कों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा, जिसमें 300 किलोमीटर लम्बी सड़कें नाबार्ड और 200 किलोमीटर सड़कें विशेष कोर विकास कार्यक्रम, ग्रामीण सड़क एवं मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई जाएंगी।
इसके अतिरिक्त, केन्द्रीय सड़क व अवसंरचना कोष योजना के तहत 50 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2025-26 के दौरान 50 पुलों और 35 नए भवनों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
वार्षिक मरम्मत योजना के तहत 1800 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत एवं नवीनीकरण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 10 लाख वर्ग मीटर पैच वर्क किया जाएगा, जिससे 3500 किलोमीटर सड़के गड्डामुक्त हो जाएंगी।
शहरी विकास विभाग में नई योजनाएं होगी शुरू
शहरी विकास विभाग के तहत वर्ष 2025-26 में अनेक नई योजनाएं शुरू की जाएंगी। ठोस कचरा प्रबन्धन के दृष्टिगत सामुदायिक भागीदारी के लिए 2 महीनों का आईईसी अभियान शुरू किया जाएगा। सामग्री पुनः प्राप्ति केन्द्रों का विस्तार करते हुए कलस्टर आधारित बायो गैस प्लांट स्थापित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों को घर पर सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2025-26 में सरकार द्वारा व्यापार, लाईसेंस, कचरा संग्रहण, बिलिंग, विज्ञापन की अनुमति, कैनोपी प्रबन्धन, पालतू जानवरों का पंजीकरण, शिकायत मॉडयूल, सम्पत्ति मुद्रीकरण और प्रबन्धन तथा आरडीएफ मॉनीटरिंग मॉडयूल जैसी आठ ऑनलाइन सेवाएं शुरू की जाएंगी, जिन्हें एकल पोटर्ल (यूपीवाईओजी) के तहत लोगों को उपलब्ध करवाया जाएगा।
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