IIT मंडी की इस तकनीक से अब स्वच्छ व निर्मल होंगी देश की नदियां
आइआइटी मंडी में ईजाद किए गए फोटो कैटालिक रिएक्टर (पारदर्शी कांच रिएक्टर) से उद्योगों से निकलने वाले कचरे व केमिकलयुक्त पानी से देश की नदियां अब प्रदूषित नहीं होंगी।
हंसराज सैनी [मंडी]: उद्योगों से निकलने वाले कचरे व केमिकलयुक्त पानी से देश की नदियां अब प्रदूषित नहीं होंगी। इतना ही नहीं केमिकलयुक्त पानी व कचरा मानव प्रयोग में भी लाया जा सकेगा। यह संभव होगा हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में ईजाद किए गए फोटो कैटालिक रिएक्टर (पारदर्शी कांच रिएक्टर) से। सूर्य की किरणों औद्योगिक प्रदूषण मिटाने में मददगार होंगी। उद्योगपतियों व सरकार को ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने व उसके संचालन पर लाखों रुपये का खर्च भी नहीं करना पड़ेगा।
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आइआइटी मंडी द्वारा ईजाद किए गए फोटो कैटालिक रिएक्टर की लागत मात्र 40 से 50 हजार रुपये के बीच आएगी। उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण देश के समक्ष बड़ी चुनौती है। उद्योगों की गंदगी नदियों में प्रवाहित होती है, जिससे नदियों का जल पीने लायक नहीं रह गया है। केंद्र सरकार की नदियों को स्वच्छ बनाने की मुहिम भी सिरे नहीं चढ़ पा रही थी। इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने के लिए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रलय ने आइआइटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग को तकनीक ईजाद करने का दायित्व सौंपा था। करीब एक साल के अनुसंधान के बाद सहायक प्रोफेसर डॉ. राहुल वैश के नेतृत्व में फोटो कैटालिक रिएक्टर तकनीक ईजाद की है। उद्योगों से निकलने वाला कचरा व केमिकलयुक्त पानी पारदर्शी कांच से बने बॉक्सनुमा फोटो कैटालिक रिएक्टर से गुजारा जाएगा।
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तरल व ठोस अपशिष्ट जैसे ही इसमें से गुजरेगा, वहां विद्यमान रिएक्टर सूर्य व यूवी किरणों की मदद रसायनिक तत्व व जहरीले पदार्थो को नष्ट कर देगा। इसके बाद उपचारित पानी व अन्य पदार्थ मानव प्रयोग में लाए जा सकेंगे। नालियों में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सीमेंट में मिलाने वाला रिएक्टर ईजाद किया गया है। नालियों में अगर कहीं से भी कोई रसायनिक पदार्थ आता है तो सीमेंट में मौजूद रिएक्टर उसका अपघटन कर देगा। भवनों की दीवारों में भी अब धूल मिट्टी की समस्या नहीं बनेगी। इसके लिए भी रिएक्टर तैयार किया है। दीवारों पर अगर धूल-मिट्टी जमी होगी तो पेंट में मौजूद रिएक्टर सूर्य की रोशनी से धूल कणों को नष्ट कर देगा। इससे भवनों की चमक बरकरार रहेगी।
प्रयोग में आएगा उद्योगों से निकलने वाला कचरा व केमिकलयुक्त पानी
औद्योगिक प्रदूषण कम लागत में नियंत्रित करने के लिए एक साल से अनुसंधान चल रहा था। स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग ने फोटो कैटालिक रिएक्टर तकनीक ईजाद की है, जिससे औद्योगिक प्रदूषण से निपटने में मदद मिलेगी। इसकी लागत भी मात्र 40 से 50 हजार के बीच आएगी। इससे कचरे व केमिकलयुक्त पानी को उपचारित कर मानव प्रयोग में लाया जा सकता है।-डॉ. राहुल वैश, सहायक प्रोफेसर स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग आइआइटी मंडी।
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