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    बर्फ से जीती, लेकिन तंत्र से हारी कमला

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    Updated: Thu, 19 Jan 2017 04:49 PM (IST)

    ह‍िमाचल प्रदेश के जिला मंडी के गाड़ागुसैणी क्षेत्र की घाट पंचायत के पाली गांव की कमला ने बर्फ से तो जंग जीत ली, लेकिन तंत्र से हार गई।

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    बर्फ से जीती, लेकिन तंत्र से हारी कमला

    मंडी [हंसराज सैनी]: जिला मंडी के गाड़ागुसैणी क्षेत्र की घाट पंचायत के पाली गांव की कमला ने बर्फ से तो जंग जीत ली, लेकिन तंत्र से हार गई। बर्फ में 23 किलोमीटर लंबा सफर पैदल करने के बाद कमला जोनल अस्पताल मंडी इस उम्मीद से पहुंची थी कि यहां उसे कुछ राहत मिलेगी। लेकिन जोनल अस्पताल प्रबंधन ने उसके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय सात दिन के बच्चे को रात को ही आइजीएमसी शिमला या फिर पीजीआइ चंडीगढ़ ले जाने का फरमान सुना दिया। दिनभर बर्फ में 23 किलोमीटर का सफर तय कर कमला व परिजन तंत्र के आगे हांफ गए।

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    सड़क मार्ग तक पहुंचने के बाद ये लोग निजी वाहन से मंगलवार शाम सात बजे जोनल अस्पताल पहुंचे थे। कमला ने जुड़वा बच्चों बेटा व बेटी को जन्म दिया है। बेटे को पीलिया की शिकायत होने पर गाड़ागुसैणी से मंडी के लिए रेफर किया गया था। यहां करीब दो घंटे तक टेस्ट आदि करने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने रात करीब नौ बजे यह कह बच्चे को आइजीएमसी या फिर पीजीआइ ले जाने को कहा कि बच्चे को ऑक्सीजन लगेगी। अस्पताल में न तो बाल रोग विशेषज्ञ है और न ऑक्सीजन मशीन की व्यवस्था। जोनल अस्पताल में तीन बाल रोग विशेषज्ञ है। इनमें से एक के पिता का देहांत हुआ है, दूसरा छुट्टी पर है और तीसरा दिन के समय ड्यूटी पर था। अस्पताल प्रबंधन के फरमान से कमला व उसके परिजन इधर-उधर से पैसे का प्रबंध कर बच्चे को निजी अस्पताल लेकर गए।

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    हैरानीजनक बात तो यह है कि जोनल अस्पताल को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक के साथ अटैच किया गया है। अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग मेडिकल कॉलेज स्तर की सुविधाएं उपलब्ध होने के दावे कर रहा है। पिछले दिनों अस्पताल में विशेषज्ञ 24 घंटे उपलब्ध होने की बात कही गई थी। लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला में बच्चों के लिए ऑक्सीजन मशीन व अन्य जरूरी उपकरण न होना दावो की पोल खोल रहा है। मामला सामने आने के बाद अब जांच के आदेश दे दिए गए है।

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    बच्चे को अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं किया गया, किसने उसे रेफर किया, इसकी जांच होगी। एक साल तक की उम्र के बच्चे का उपचार निशुल्क होता है। बच्चा अगर निजी अस्पताल मे भर्ती करवाया गया है तो वहां उपचार का जो खर्च आएगा उसे स्वास्थ्य विभाग वहन करेगा।- डॉ. देसराज शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी मंडी।

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