पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की हरियाली पर संकट, इन दो वजह से दुग्ध उत्पादन पर भी पड़ सकता है प्रतिकूल असर
भाखड़ा बांध में झुकाव और ब्यास-सतलुज लिंक परियोजना में गाद की समस्या से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में संकट गहरा सकता है। सिंचाई के लिए पानी की कमी से ...और पढ़ें

पंजाब हरियाणा और राजस्थान की हरियाली पर संकट है।
जागरण संवाददाता, मंडी। भाखड़ा बांध में सामने आए झुकाव और ब्यास-सतलुज लिंक (बीएसएल) परियोजना में गंभीर होती गाद की समस्या ने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की हरियाली पर संकट के बादल खड़े कर दिए हैं। यदि स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड (बीबीएमबी) की भाखड़ा और ब्यास परियोजनाओं से तीनों राज्यों को सिंचाई के लिए प्रति वर्ष औसतन 28 मिलियन एकड़ फीट पानी प्रतिवर्ष मिल रहा है, इससे करीब 1.25 करोड़ एकड़ भूमि सिंचित होती है। इससे कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई।
भारत विभाजन के समय पंजाब की 80 प्रतिशत सिंचित भूमि पश्चिम पाकिस्तान में चली गई थी, लेकिन बीबीएमबी की इन परियोजनाओं ने देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र की तस्वीर बदल दी। इस क्षेत्र को देश का अन्न भंडार बना दिया था।
तीनों राज्यों की बढ़ी चिंता
वर्तमान स्थिति ने तीनों राज्यों की सरकारों की चिंता बढ़ा दी है। पानी और बिजली की कमी से आने वाले दिनों में होने वाले असर को देखते हुए पंजाब सरकार ने मामला केंद्र से उठाया है। केंद्रीय जल आयोग और कई अन्य संस्था गाद की समस्या को लेकर बीबीएमबी को पिछले 30 वर्ष से चेता रहा था, लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई।
1977 में बने प्रोजेक्ट में पांच साल बाद ही खड़ी हो गई थी समस्या
बीएसएल प्रोजेक्ट 1977 में आरंभ हुआ था। सुंदरनगर संतुलन जलाशय में पांच वर्ष बाद ही गाद जमा होने आरंभ हो गई थी। गाद निकासी के लिए करोड़ों रुपये का ड्रेजर खरीद बीबीएमबी ने अल्पकालीन उपाय तो कर लिया, समस्या से निपटने के लिए कोई दीर्घकालीन योजना नहीं बनाई। समस्या बढ़ी तो ड्रेजर की संख्या भी एक से तीन हो गई, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
बंद होने के कगार पर प्रोजेक्ट
गाद से अब प्रोजेक्ट बंद होने की कगार पर है। करीब दो किलोमीटर क्षेत्र में फैले जलाशय की भंडारण क्षमता 3000 हेक्टेयर मीटर फीट है। 990 मेगावाट क्षमता के डैहर पावर हाउस में बिजली उत्पादन के लिए जलाशय में न्यूनतम 370 हेक्टेयर मीटर पानी आवश्यक होता है।
70 प्रतिशत गाद से भर चुका है जलाशय
गाद से जलाशय 70 प्रतिशत तक भर चुका है। इन दिनों 3000 क्यूसेक पानी प्रतिदिन इस प्रोजेक्ट के माध्यम से सतलुज नदी में पहुंच रहा था जो पिछले 20 दिन से बंद है। झुकाव के कारण भाखड़ा बांध का जलस्तर कम किया जा रहा है। इससे आने वाले दिनों में भागीदार राज्यों को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। पानी की कमी का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ना तय है।
पौंग पावर हाउस की क्षमता बढ़ाई
बीबीएमबी ने नवीनीकरण, आधुनिकीकरण और उन्नयन (आरएमएंडयू) के तहत पौंग पावर हाउस की सभी छह इकाइयों की क्षमता 60 मेगावाट से बढ़ाकर 66 मेगावाट की है। इससे कुल क्षमता 360 मेगावाट से बढ़कर 396 मेगावाट हो गई थी।
भाखड़ा राइट बैंक पावर हाउस भी अपग्रेड
भाखड़ा राइट बैंक पावर हाउस की पांचों इकाइयों को 120 मेगावाट से बढ़ाकर 157 मेगावाट किया था। वहीं, भाखड़ा लेफ्ट बैंक पावर हाउस की इकाइयों को 108 मेगावाट से 126 मेगावाट किया है। बीएसएल प्रोजेक्ट 48 वर्ष बाद भी नवीनीकरण, आधुनिकीकरण और उन्नयन की राह देख रहा है।

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