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    हिमाचल सरकार के कार्यक्रम में भेजी 1070 बसों का करोड़ों रुपये बना किराया, HRTC की विस्तृत बिल भेजने की तैयारी

    By Parkash Bhardwaj Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Mon, 15 Dec 2025 10:55 AM (IST)

    हिमाचल सरकार के तीन साल पूरे होने पर मंडी में आयोजित जन संकल्प सम्मेलन का खर्च सामने आ रहा है। एचआरटीसी ने सम्मेलन के लिए 1070 बसों का लगभग चार करोड़ ...और पढ़ें

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    हिमाचल सरकार के कार्यक्रम में गई एचआरटीसी बसों का किराया करोड़ों रुपये बना है। प्रतीकात्मक फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल सरकार के सत्ता में तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 11 दिसंबर को मंडी के पड्डल मैदान में हुए जन संकल्प सम्मेलन का खर्च सामने आने लगा है। आयोजन के लिए हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) उपलब्ध करवाई बसों का करीब चार करोड़ रुपये का बिल सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को भेजने की तैयारी में है।

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    प्रशासनिक खर्चों को जोड़ते हुए विस्तृत बिल तैयार किया

    सम्मेलन में प्रदेशभर से सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों और कार्यकर्ताओं को लाने-ले जाने के लिए 1070 बसें किराये पर ली गई थीं। इन बसों के संचालन, डीजल, स्टाफ ड्यूटी और अन्य प्रशासनिक खर्चों को जोड़ते हुए निगम प्रबंधन ने भुगतान के लिए विस्तृत बिल तैयार कर लिया है।

    कितनी जल्दी मिलेगी हरी झंडी

    निगम ने नियमित रूट के साथ अतिरिक्त सेवाएं संचालित कर यह व्यवस्था सुनिश्चित की। अब देखना होगा कि चार करोड़ रुपये के इस बिल पर सरकार कितनी जल्दी हरी झंडी देती है और भुगतान कब तक किया जाता है।

    पूर्व सरकार का बकाया भी चुकाया है वर्तमान सरकार

    पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में आयोजित रैलियों और कार्यक्रमों के दौरान एचआरटीसी का जो बकाया लंबित था, उसे वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद चुकता किया था। अब मंडी जन संकल्प सम्मेलन के लिए तैयार बिल को लेकर भुगतान की प्रक्रिया जीएडी स्तर पर शुरू होने की उम्मीद है।

    वित्तीय दबाव में एचआरटीसी

    पहले से ही आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे एचआरटीसी के लिए यह भुगतान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। निगम प्रबंधन का कहना है कि समय पर भुगतान होने से कर्मचारियों की देनदारियों और संचालन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में मदद मिलेगी। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से परिवहन निगम के घाटे के संबंध में रखी गई जानकारी के अनुसार निगम को हर माह 70 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है यानी सालाना 840 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। परिवहन निगम का कुल घाटा बढ़कर 2200 करोड़ से अधिक पहुंच चुका है।

     

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