हिमाचल पर भूकंप का रेड अलर्ट! BIS के नए जोन मैप ने बढ़ाई टेंशन, 7 जिलों में हाई रिस्क
Himachal Earthquake Alert, भारतीय मानक ब्यूरो के नए भूकंपीय मानचित्र के अनुसार, हिमाचल प्रदेश अब भूकंप के खतरे के रेड जोन में है। शिमला, मंडी, कांगड़ा ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश भूकंप की दृष्टि से अब रेड जोन में है। प्रतीकात्मक फोटो
जागरण संवाददाता, मंडी। Himachal Earthquake Alert, हिमाचल में भूकंप का खतरा अब पहले से बढ़ गया है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) की ओर से हाल ही में जारी नए भूकंपीय मानचित्र में प्रदेश के लिए गंभीर चेतावनी है। पूरे हिमालयी क्षेत्र को देश के सबसे अधिक जोखिम वाले भूकंपीय जोन छह (रेड जोन) में शामिल किया है।
हिमाचल के शिमला, मंडी, कांगड़ा, कुल्लू, चंबा, किन्नौर और लाहुल स्पीति जिले अब उच्चतम खतरे की श्रेणी में आ गए हैं, जिससे सरकार व प्रशासन की चिंता भी बढ़ गई है।
अब अत्यधिक संवेदनशील श्रेणी में
नए मानचित्र के अनुसार पहले जोन चार और जोन पांच में बंटे प्रदेश को अब पूरी तरह अत्यधिक संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव किसी औपचारिक पुर्नवर्गीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में संभावित बड़े भूकंप की आशंका को ध्यान में रखकर किया गया है।
क्यों बन रहा धरती के भीतर भारी दबाव
विज्ञानियों के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के निरंतर टकराव से धरती के भीतर भारी दबाव बन रहा है। काफी समय से कोई बड़ा भूकंप न आने के कारण यह ऊर्जा भीतर ही भीतर जमा होती जा रही है, जो कभी भी विनाशकारी झटकों के रूप में बाहर आ सकती है। प्रदेश में 1905 में कांगड़ा जिला में सबसे बड़ा भूकंप आया था।
90 प्रतिशत जल विद्युत परियोजनाएं इन्हीं सात जिलों में
प्रदेश के लिए यह स्थिति इसलिए भी गंभीर है क्योंकि प्रदेश के 90 प्रतिशत से अधिक जलविद्युत परियोजनाएं इन्हीं सात जिलों में हैं। इसके अलावा फोरलेन सड़क परियोजनाएं, सुरंगें और रेललाइन जैसी बड़ी बुनियादी संरचनाओं का निर्माण भी इन्हीं संवेदनशील क्षेत्रों में हो रहा है।
इन जिलों में बढ़ी हैं भूस्खलन की घटनाएं
शिमला, मंडी, कुल्लू, किन्नौर, लाहुल स्पीति, चंबा और कांगड़ा जिलों में भूस्खलन की घटनाएं आम होती जा रही हैं। पहाड़ों पर बढ़ता कंकरीट का बोझ प्राकृतिक संतुलन को कमजोर कर रहा है, जिससे अब भूकंप का खतरा और गहरा गया है। नए भूकंपीय मानचित्र के साथ पूरे देश में भी जोखिम का दायरा बढ़ा है। पहले जहां भारत की 59 प्रतिशत भूमि को भूकंप संवेदनशील माना जाता था, अब यह बढ़कर 61 प्रतिशत हो गई है।
देश की 75 प्रतिशत आबादी भूकंप की दृष्टि से सक्रिय क्षेत्रों में
देश की लगभग 75 प्रतिशत आबादी अब भूकंप की दृष्टि से सक्रिय क्षेत्रों में रह रही है। खास बात यह है कि इस बार भूकंपीय जोन प्रशासनिक सीमाओं के बजाय भूवैज्ञानिक फाल्ट लाइन के आधार पर तय किए गए हैं, जिससे जोखिम का अधिक वैज्ञानिक आकलन संभव हो सका है। इस बदलाव का सीधा असर निर्माण गतिविधियों पर पड़ेगा।
जोन छह में शामिल क्षेत्रों में सख्त होंगे भवन निर्माण नियम
जोन छह में शामिल क्षेत्रों में भवन निर्माण के नियम और अधिक सख्त किए जाएंगे। सक्रिय फाल्ट लाइन और नरम मिट्टी वाले इलाकों में नए निर्माण पर रोक लग सकती है। इसके साथ ही हिमालयी राज्यों में एक समान भूकंपरोधी भवन मानक लागू किए जाने की तैयारी है, ताकि भविष्य में जान-माल के नुकसान को न्यूनतम किया जा सके। एनजीटी बिजली महादेव रोपवे को लेकर सवाल उठा चुका है।

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