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    Landslide Points In Himachal: टूटते पहाड़ों ने मुश्किल किया सफर, मनाली फोरलेन पर 12 जगह हर पल मंडरा रही मौत

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 01:52 PM (IST)

    Landslide Points In Himachal हिमाचल प्रदेश में मानसून के दौरान कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर 12 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा बना रहता है जिससे यात्रा खतरनाक हो गई है। पंडोह से टकोली के बीच फ्लाईओवर सुरक्षित नहीं हैं और सड़कें भी असुरक्षित हैं। पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी भूस्खलन हो रहा है जिससे यातायात बाधित है। सड़कें खराब होने से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं।

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    मंडी में मनाली फोरलेन पर दयोड के पास चट्टानें गिरने के खतरे के बीच गुजरते वाहन। जागरण

    हंसराज सैनी, मंडी। Landslide Points In Himachal, हिमाचल की वादियां मानसून के मौसम में हरियाली से लबालब हैं। झरनों की धाराएं गीत गा रही हैं, बादलों का घेरा दिल को भाता है। लेकिन इन्हीं बादलों की बेरहम वर्षा जब पहाड़ों पर बरसती है, तो सुंदरता का यह नजारा अचानक मौत का मंजर बन जाता है।

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    कीरतपुर-मनाली फोरलेन जो कभी सुरक्षित व तेज यात्रा का सपना था, आज बरसात में यात्रियों की धड़कनों की परीक्षा ले रहा है। फोरलेन पर 12 प्वाइंट ऐसे हैं, जहां हर पल भूस्खलन का खतरा बना रह रहा है। 

    पहाड़ों को चीरकर करोड़ों रुपये की लागत से तैयार फोरलेन परियोजना लोगों के लिए सुविधा का वादा तो करती है, लेकिन जैसे ही बादल फटते हैं, भूस्खलन या भारी वर्षा होती है, यह मार्ग सफर को मौत का खेल बना देता है। कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर इन दिनों यही स्थिति है। जगह-जगह भूस्खलन, दलदल व टूटते पहाड़ यात्रियों के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। 

    मनाली-कीरतपुर फोरलेन पर आवाजाही प्रभावित होने के कारण टकोली में लगा वाहनों का जाम। जागरण

    पंडोह से टकोली के बीच न फ्लाईओवर सुरक्षित और न ही सड़कें

    कीरतपुर-मनाली फोरलेन के निर्माण में सुरंगों को अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जा रहा था। पंडोह से टकोली के बीच बनी लंबी सुरंगें अब तक बरसात के दौरान मजबूत साबित हुई हैं। लेकिन समस्या सुरंगों के बाहर की है। जहां-जहां फ्लाईओवर व खुली सड़क बनी है, वहीं भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। दवाड़ा फ्लाईओवर के नीचे से पिल्लर खिसक चुका है। आवाजाही बंद है। सुरंगों के पोर्टल भूस्खलन की मार झेल रहे हैं। औट सुरंग में पानी व मलबा भरा पड़ा है। 

    बरसात में आपका सफर कितना सुरक्षित, घर से सोच-समझ कर निकलें

    इस स्थिति में यात्रियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी सुरक्षा है। पहाड़ी सड़कों पर वर्षा के दौरान सफर करते समय हर पल सावधानी बरतनी पड़ती है। प्रशासन व पुलिस लगातार अलर्ट जारी कर यात्रियों से अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील कर रही है। यात्रा से पहले मौसम का पूर्वानुमान देखना व स्थानीय प्रशासन से जानकारी लेना बेहद जरूरी हो गया है। अगर आप बिना जानकारी के सफर पर निकलते हैं तो खुद को संकट में डाल सकते हैं।

    12 अतिसंवेदनशील प्वाइंट

    बिलासपुर से मनाली तक फोरलेन पर भूस्खलन की दृष्टि से 12 अतिसंवेदनशील प्वाइंट हैं। बिलासपुर में सुरंग एक व दो के बीच थापना और समलेऊ, मंडी में 4, 6, 7 व 9 मील, पंडोह कैंची मोड़, दियोड़, झलोगी, दवाडा, औट से आगे शनि मंदिर और जिला कुल्लू में मनाली का बिंदु ढांक बेहद संवेदनशील हैं। यहां मार्ग पर कभी लैंडस्लाइड हो सकता है।

    भूस्खलन व दलदल से पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग भी सुरक्षित नहीं

    कीरतपुर-मनाली फोरलेन ही नहीं, बल्कि पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग भी भूस्खलन व दलदल के कारण असुरक्षित हो गया है। पद्धर से मंडी तक जगह-जगह मलबा गिर रहा है। फोरलेन निर्माण के लिए अवैज्ञानिक तरीके से की गई पहाड़ों की कटिंग अब गले की फांस बनती जा रही है। दलदल में रोजाना वाहन फंस रहे हैं। भूस्खलन से यहां यातायात व्यवस्था पूरी तरह ठप हो रही है। इससे न केवल पर्यटक बल्कि स्थानीय लोगों को भी कठिनाई झेलनी पड़ रही है। यह मार्ग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इन दिनों बड़े पैमाने पर सेना की रसद सीमावर्ती क्षेत्रों तक जाती है। मार्ग अवरुद्ध होने का असर रसद की सप्लाई पर पड़ रहा है।

    मंडी-कोटली-धर्मपुर-जालंधर मार्ग की स्थिति भी चिंताजनक

    मंडी-कोटली-धर्मपुर-जालंधर मार्ग की स्थिति भी दयनीय है। निर्माण कार्य के चलते पहाड़ काटे गए हैं। वर्षा के कारण वही काटे गए पहाड़ अब दरक रहे हैं। मार्ग पर कई स्थानों पर मिट्टी पसरने से दलदल में बदल चुका है। 

    मंडी, कुल्लू व लाहुल-स्पीति जिले की लाइफलाइन संकट में

    कीरतपुर-मनाली फोरलेन, पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग, मंडी-कोटली-धर्मपुर-जालंधर व वैकल्पिक मार्ग मंडी कमांद बजौरा की खराब स्थिति का सीधा असर मंडी, कुल्लू व लाहुल स्पीति जिलों पर पड़ रहा है। पर्यटन, व्यापार व रोजमर्रा की जरूरतों के लिए यही सड़कें लाइफलाइन मानी जाती हैं। लेकिन इनकी बिगड़ती स्थिति से न सिर्फ वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है, बल्कि आर्थिक गतिविधियां भी ठप पड़ रही हैं। 

    आपात स्थिति में अस्पताल पहुंचना मुश्किल

    आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। सेब व सब्जी प्रदेश व अन्य राज्यों की मंडियों तक पहुंचाना किसानों व बागबानों के लिए चुनौती बन गया है। दो से तीन दिन तक मार्ग बाधित रहने से सब्जियां गाड़ियों में सड़ रही है। कारोबारी उन्हें नालों में फेंकने के लिए विवश हो रहे हैं।

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