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    हिमाचल में मौसम ठंडा होते ही वायरल फीवर की जकड़ में आने लगे बच्चे, माताएं जरूर बरतें ये सावधानी

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 02:00 PM (IST)

    viral fever in children हिमाचल प्रदेश में सर्दी बढ़ने के साथ बच्चों में वायरल फीवर के मामले बढ़ रहे हैं। जोनल अस्पताल मंडी में सात बच्चे भर्ती हैं और लगभग 150 बच्चे ओपीडी में जांच करा चुके हैं। डाक्टरों ने बच्चों को भीड़भाड़ वाली जगहों और संक्रमित लोगों से दूर रहने की सलाह दी है।

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    हिमाचल प्रदेश में बदलते मौसम के कारण बच्चे बीमार पड़ने लगे हैं। प्रतीकात्मक फोटो

    संवाद सहयोगी, मंडी। viral fever in children, हिमाचल प्रदेश में सर्दी की दस्तक के साथ ही बच्चों में वायरल फीवर के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। जोनल अस्पताल, मंडी में इन मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वर्तमान में सात बच्चे उपचाराधीन हैं। जबकि 150 के करीब बच्चे ओपीडी में जांच करवा चुके हैं। 

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    बदलते मौसम में इसका ज्यादातर असर बच्चों में बढ़ता है, वायरल फीवर एक संक्रामक रोग है जो वायरस के कारण होता है। इसके शुरुआती लक्षण आमतौर पर खांसी और जुकाम होते हैं, जिसके बाद तेज बुखार, बदन दर्द और थकान महसूस होती है। आमतौर पर यह संक्रमण तीन से सात दिनों तक रहता है।

    बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वे तेजी से इसकी चपेट में आते हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए स्वच्छता, खासकर हाथों को नियमित धोना सबसे महत्वपूर्ण है। साथ ही, बच्चों को भीड़भाड़ वाली जगहों और संक्रमित लोगों के संपर्क से दूर रखना आवश्यक है।

    बच्चों को तरल पदार्थ दें व धुएं से बचाएं

    उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को प्रतिबंधित करने पर केंद्रित होता है। बुखार के लिए दवाई और शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए पर्याप्त तरल पदार्थ देना जरूरी है। साथ ही यदि घर के अंदर धूम्रपान करने से बचें और धूप अगरबत्ती अगर घर में जलाते है तो घर की खिड़कियां दरवाजे खोल दें, ताकि बच्चों का किसी प्रकार की समस्या पेश न आए।

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    ये सावधानी जरूर बरतें

    सर्दी के मौसम में बच्चों को धुएं विशेषकर इनडोर प्रदूषण और अलाव के धुएं से दूर रखें और ठंड से बचाव करें। धुएं के संपर्क में आने से बच्चों के फेफड़े कमजोर होते हैं और वायरल संक्रमण निमोनिया जैसी जटिलताओं में बदल सकता है। बच्चे को हमेशा गर्म कपड़े पहनाएं और पौष्टिक आहार दें। यदि बुखार 102 से अधिक हो या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तत्काल डाक्टर से परामर्श लें, स्वयं दवा देने से बचें।

    -डा. आशुतोष, शिशु रोग विशेषज्ञ, जोनल अस्पताल मंडी।

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