मंडी में सुक्खू सरकार के तीन वर्षीय कार्यक्रम के क्या हैं सियासी मायने? आयोजन के पीछे संसदीय क्षेत्र का भी तर्क
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार वीरवार को तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रही है। प्राकृतिक आपदा में सबसे ज्यादा जख्म झेलने वाले मंडी को सरकार ने कार्यक ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू। जागरण
अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार वीरवार को तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रही है। प्राकृतिक आपदा में सबसे ज्यादा जख्म झेलने वाले मंडी को सरकार ने कार्यक्रम के लिए चुना है। कार्यक्रम का नाम ‘जन संकल्प सम्मेलन’ दिया गया है। सरकार सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन कर कार्यकर्ताओं में जोश भरेगी।
प्राकृतिक आपदा के बीच मिले राजनीतिक सकंट के गहरे जख्मों को कुरेदकर मुख्यमंत्री विपक्ष पर निशाना साधेंगे। विपक्ष आपदा के बीच राजनीति षड्यंत्र रचता रहा और सरकार आपदा प्रभावितों के साथ खड़ी रही, इसका अहसास भी कार्यक्रम में करवाया जाएगा।
मुख्यमंत्री के निशाने पर विपक्ष रहेगा। प्राकृतिक आपदा के बीच मिले राजनीतिक संकट के जख्मों को कुरेदकर सरकार विपक्ष पर तीखे हमले बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
मंत्रियों व इन नेताओं को जिम्मा
कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंचे इसके लिए कैबिनेट मंत्रियों, विधायकों व बोर्ड निगमों के अध्यक्ष उपाध्यक्षों को जिम्मा सौंपा गया है। बाकायदा सरकार की ओर से लोगों को लाने के टारगेट दिए गए हैं।
मंडी को कार्यक्रम के लिए चुनने के सियासी मायने
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक मंडी को कार्यक्रम के लिए चुनने के पीछे कई सियासी मायने हैं। मंडी नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है। डेढ़ दशक पहले तक यह कांग्रेस का मजबूत किला माना जाता था। भाजपा ने कांग्रेस के इस किले पर न केवल कब्जा किया है बल्कि इसे और मजबूत भी किया है। एक समय था जब कांग्रेस विस चुनाव में इस जिला से अच्छी सीटें जीतती थी। कांग्रेस सत्ता में होती तो इस जिला से 2 मंत्री बनते, तो दूसरी तरफ बोर्ड निगमों में भी तरजीह मिलती।
2022 में एक सीट जीते
2022 के चुनाव में कांग्रेस केवल एक ही सीट यहां जीत पाई। जबकि 2017 के चुनाव में तो खाता नहीं खुल पाया था। कांग्रेस का कहना है कि भले ही चुनाव हारे हैं लेकिन इस जिला में कांग्रेस की जड़े अभी भी मजबूत है। इस कार्यक्रम के बहाने अपनी जड़ों को और मजबूत किया जाएगा।
कार्यक्रम आयोजन के लिए यह भी तर्क
सरकार का तर्क है कि पहले साल का जश्न कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में मनाया गया। दूसरे साल की हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के बिलासपुर में आयोजित किया गया। तीसरे साल का जश्न मंडी में हो रहा है। इसके बाद शिमला संसदीय क्षेत्र बचता है। शिमला संसदीय क्षेत्र में शपथ ग्रहण समारोह हो चुका है।

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