Himachal: पति की मौत के बाद महिला ने कर ली दूसरी शादी, पौत्र की सही देखभाल न होने पर कोर्ट पहुंची दादी, अब आया यह फैसला
Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक महिला की दूसरी शादी के बाद दादी ने पोते की देखभाल के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। परिवार न्यायालय सुंदरनगर ने नाबालिग के संरक्षण के लिए मां को प्राथमिकता दी लेकिन दादी को भी पोते से मिलने का अधिकार दिया। दादी महीने में दो बार दो घंटे के लिए पोते से मिल सकेंगी।

जागरण संवाददाता, मंडी। Himachal Pradesh News, जिला मंडी में एक महिला ने पति की मृत्यु के बाद दूसरी शादी कर ली और बेटे को अपने साथ ले गई। दादी ने पोते की सही देखभाल न होने की बात कर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। परिवार न्यायालय सुंदरनगर ने एक नाबालिग के संरक्षण पर मां को प्राथमिकता दी और दादी को भी मिलने का अधिकार दिया है। दादी माह में दो बार दो-दो घंटे तक पोते से मिल सकेंगी। न्यायालय ने हिंदू अल्पसंख्यक एवं अभिभावकता अधिनियम के तहत दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया है।
2019 में हुआ था निधन, बड़ा पोता दादी के साथ रह रहा
याचिकाकर्ता संती देवी के बेटे शक्तिधर की मृत्यु 2019 में हो गई थी। उसके बाद बहू ने 14 अगस्त 2021 को दूसरा विवाह कर लिया। विवाह के बाद बहू अपने छोटे बेटे को साथ ले गई थी, जबकि बड़ा बेटा संती देवी के पास ही रहा। कुछ समय बाद महिला ने उपमंडल दंडाधिकारी (एसडीएम) सुंदरनगर के समक्ष आवेदन देकर बड़े बेटे की अभिरक्षा प्राप्त कर ली।
आरोप, बहू और उसका पति बच्चे की नहीं कर रहे देखभाल
संती देवी ने याचिका में आरोप लगाया कि उसकी बहू और उसका पति बच्चे की समुचित देखभाल नहीं कर रहे हैं। उसका भविष्य खतरे में है। बच्चा भावनात्मक रूप से उससे जुड़ा है। उन्होंने ही उसकी परवरिश की है इसलिए उसे अपने पास रखने का उन्हें पूरा हक है।
आश्रम में रह रहा है बेटा
प्रतिवादी ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह बच्चे की प्राकृतिक अभिभावक हैं। याचिकाकर्ता ने बच्चे को जबरदस्ती अपने पास रखा था। बताया कि वर्तमान में बेटा एक आश्रम में रह रहा है, जहां उसे उचित शिक्षा और अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। महिला ने दावा किया कि वह समय-समय पर आश्रम जाकर बेटे से मिलती है। उसका पूरा ध्यान रखती है।
न्यायालय ने बच्चे को मां के पास रखने का दिया फैसला
दोनों पक्षों की गवाहियों और उपलब्ध साक्ष्यों की जांच-पड़ताल के बाद न्यायालय ने कहा कि बच्चे का सर्वोत्तम हित उसकी मां के पास सुरक्षित है, जो न केवल उसकी प्राकृतिक अभिभावक हैं बल्कि उम्र में भी कम होने के कारण उसकी बेहतर देखभाल कर सकती हैं।
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महीने में दो बार पोते से मिल सकेगी दादी
न्यायालय ने यह भी माना कि दादी संती देवी का बच्चे के साथ गहरा भावनात्मक लगाव है और यह आवश्यक है कि वह भी अपने पौत्र से संपर्क बनाए रखे। संती देवी को हर माह दो बार पोते से मुलाकात का अधिकार होगा। यह मुलाकात न्यूनतम दो घंटे की होगी। यदि दोनों पक्ष आपसी सहमति से दिन और समय तय नहीं कर पाते तो यह मुलाकात हर महीने के पहले और तीसरे रविवार को दोपहर दो बजे से चार बजे के बीच होगी।
व्यवस्था पर न्यायालय ने किया स्पष्ट
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था बच्चे के मानसिक और भावनात्मक कल्याण को ध्यान में रखते हुए की गई है, ताकि वह अपनी पारिवारिक जड़ों से जुड़ा रह सके। न्यायालय ने याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए मामले का निपटारा कर दिया।
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