Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमाचल में ED की बड़ी कार्रवाई, 2300 करोड़ के क्रिप्टो करेंसी ठगी मामले में 3 लॉकर व कैश जब्त, दो राज्यों में 8 जगह दबिश

    By Hansraj Saini Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Sun, 14 Dec 2025 06:24 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 2300 करोड़ रुपये के क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड के मामले में 3 लॉकर और कैश जब्त किया है। यह कार्रवाई दो राज् ...और पढ़ें

    Hero Image

    हिमाचल प्रदेश के नगरोटा बगवां में ईडी की रेड हुई।

    जागरण संवाददाता, मंडी। क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर हिमाचल व पंजाब के निवेशकों से करीब 2300 करोड़ रुपये की ठगी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शिमला ने 5 एजेंटों के तीन लॉकर फ्रीज किए हैं। करीब 1.2 करोड़ रुपये की बैंक शेष राशि व सावधि जमा (एफडी) को जब्त किया है।

    इसके अलावा कई अचल संपत्तियों में किए गए निवेश, बेनामी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज, निवेशकों का डाटाबेस, कमीशन संरचना व डिजिटल उपकरण भी बरामद किए गए हैं। इन साक्ष्यों से बड़े पैमाने पर धन शोधन और अवैध संपत्ति अर्जन की पुष्टि हुई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आठ ठिकानों पर दी दबिश

    ईडी ने पांच एजेंट विजय कुमार जुनेजा,परस राम, गोबिंद गोस्वामी, विशाल शर्मा व रविकांत के हिमाचल व पंजाब में आठ ठिकानों पर दबिश दी। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई। ईडी ने यह जांच हिमाचल व पंजाब के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज कई मामलों के आधार पर शुरू की है।

    मंडी निवासी सुभाष शर्मा मुख्य आरोपित

    दोनों राज्यों में मुख्य आरोपित मंडी निवासी सुभाष शर्मा व उससे जुड़े अन्य आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज हैं। सुभाष शर्मा को इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड है। वह वर्ष 2023 में देश छोड़कर फरार हो गया था। आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, चिट फंड अधिनियम 1982, अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम 2019 और अन्य संबंधित कानूनों के तहत मामले दर्ज हैं।

    जांच में क्या सामने आया

    जांच में सामने आया है कि आरोपितों ने कोर्वियों, वोस्क्रो, डीजीटी, हापरनेक्सट व ए ग्लोबल जैसे कई फर्जी और स्वयं निर्मित क्रिप्टो प्लेटफार्म के माध्यम से निवेशकों को असाधारण व त्वरित मुनाफे का लालच दिया। इन प्लेटफार्म का कोई नियामक ढांचा नहीं था और इन्हें पोंजी स्कीम की तर्ज पर संचालित किया जा रहा था। नए निवेशकों से जुटाई गई रकम से पुराने निवेशकों को भुगतान कर स्कीम को लंबे समय तक चलाया गया।

    चौंकाने वाले तथ्य हाथ लगे

    तलाशी के दौरान ईडी को कई चौंकाने वाले तथ्य हाथ लगे हैं। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपितों ने बार-बार फर्जी क्रिप्टो टोकन तैयार किए, उनकी कीमतों में मनमाने ढंग से हेरफेर किया। धोखाधड़ी छिपाने के लिए प्लेटफार्म को समय-समय पर बंद कर नए नामों से दोबारा शुरू किया। इससे निवेशकों को भ्रमित किया गया। उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि वे किसी वैध डिजिटल एसेट में निवेश कर रहे हैं।

    यह भी पढ़ें: शिमला में अब बिना ट्रेडिंग लाइसेंस नहीं कर सकेंगे कारोबार, नगर निगम ने की व्यवस्था; समय रहते आवेदन न किया तो मुश्किल 

    यह भी पढ़ें: Himachal News: चंबा में घर के बाहर से नाबालिग लड़की का अपहरण कर तीन लोगों ने किया दुष्कर्म