Himachal Disaster: बरसात में क्यों दरक रहे पहाड़, प्रधानमंत्री मोदी ने क्या बताया लान्ग टर्म समाधान?
Himachal Pradesh Disaster हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों के दरकने की समस्या पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने प्रधानमंत्री मोदी से चर्चा की। प्रधानमंत्री ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का वैज्ञानिक अध्ययन कराने का आश्वासन दिया है जिसके लिए केंद्र सरकार पर्यावरण जल और भूगर्भ विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय टीम भेजेगी। मुख्यमंत्री ने संवेदनशील इलाकों में सुरंग निर्माण को प्राथमिकता देने की मांग की।

हंसराज सैनी, मंडी। Himachal Pradesh Disaster, वर्षा पहले भी होती थी लेकिन अब तेजी से पहाड़ों का दरकना केंद्र सरकार के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। मंगलवार को हिमालय दिवस भी था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गगल स्थित कांगड़ा हवाई अड्डे पर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में भाग ले रहे थे।
उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार हिमाचल के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों और दरकते पहाड़ों का वैज्ञानिक अध्ययन करवाएगी। इसके लिए पर्यावरण, जल और भूगर्भ विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय टीम प्रदेश का दौरा करेगी, जो भूस्खलन और भूगर्भीय अस्थिरता के कारणों की पहचान कर ठोस सुझाव देगी।
प्रदेश सरकार ने इस संबंध में सर्वेक्षण करवाने की मांग की थी। विभिन्न जिलों में पहाड़ दरकने से इस बार जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। कई मार्ग मिट गए हैं, और कीरतपुर-मनाली फोरलेन भी दरकते पहाड़ों की मार झेल रहा है।
संवेदनशील क्षेत्र में सुरंग निर्माण किया जाए
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रधानमंत्री के समक्ष प्रदेश की भौगोलिक चुनौतियों और सड़क परियोजनाओं को पेश आने वाली कठिनाइयों को विस्तार से रखा। बार-बार भूस्खलन और नदी कटाव के कारण सड़कें टूट रही हैं और पुल क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने संवेदनशील इलाकों में सुरंगों के निर्माण को प्राथमिकता देने की मांग की ताकि यातायात और जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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विशेषज्ञ टीम की अध्ययन रिपोर्ट के बाद होगा दीर्घकालिक समाधान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सुरंगों के साथ-साथ मजबूत सड़क और पुल भी उतने ही आवश्यक हैं। उन्होंने जल निकासी की व्यवस्था की जांच के लिए प्रदेश सरकार को अध्ययन करवाने का निर्देश दिया। मोदी ने कहा कि जल निकासी की ठोस व्यवस्था से पहाड़ों की स्थिरता और सड़क नेटवर्क की सुरक्षा में सुधार होगा। विशेषज्ञ टीम की अध्ययन रिपोर्ट के बाद दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस नीति बनाई जाएगी।
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