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    पंचायत चुनाव में भारी न पड़े कांग्रेस संगठन के गठन में देरी, मंडी में वरिष्ठ नेता भी होने लगे मुखर

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 06:47 PM (IST)

    Himachal Panchayat Chunav मंडी जिले में कांग्रेस संगठन के गठन में देरी से पार्टी की गतिविधियाँ ठप हो गई हैं जिससे कार्यकर्ता पंचायत और नगर निकाय चुनावों से पहले परेशान हैं। वरिष्ठ नेताओं ने भी इस स्थिति पर नाराजगी जताई है। जिले में सक्रिय जिलास्तरीय संगठन के अभाव में कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है।

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    हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले अब तक कांग्रेस संगठन का गठन नहीं हो पाया है। प्रतीकात्मक फोटो

    जागरण संवाददाता, मंडी। Himachal Panchayat Chunav, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस संगठन के गठन में देरी से कार्यकर्ताओं में भी निराशा है। जिला मंडी में संगठन की सुस्त रफ्तार व संगठनात्मक ढांचे के गठन में देरी ने पार्टी की गतिविधियों को ठप कर दिया है। पंचायत व नगर निकाय चुनाव सिर पर हैं, मगर पार्टी कार्यकर्ता व स्थानीय नेता स्पष्ट रणनीति के अभाव में पशोपेश में हैं।

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    काफी समय से जिले में कांग्रेस का कोई सक्रिय जिलास्तरीय संगठन नहीं बन पाया है, ब्लाक स्तर पर भी यही स्थिति है। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल भी प्रभावित हो रहा है।

    वरिष्ठ नेता भी जताने लगे नाराजगी

    कई माह की चुप्पी के बाद अब वरिष्ठ नेताओं ने भी इस स्थिति पर नाराजगी जतानी शुरू कर दी है। पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने संगठन के गठन में हो रही देरी पर सवाल उठाए हैं। कौल सिंह ठाकुर ने बकायदा इसको लेकर पत्रकारवार्ता की है।

    उन्होंने साफ कहा कि यदि समय रहते जिला स्तर पर मजबूत संगठन नहीं बना, तो आगामी पंचायत व निकाय चुनावों में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

    बन गई है नेतृत्वहीनता की स्थिति

    पार्टी के भीतर चल रही इस सुस्ती से कार्यकर्ता न केवल हतोत्साहित हैं, बल्कि नेतृत्वहीनता की स्थिति भी बन गई है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद जिले के किसी बड़े नेता की सरकार में कोई सीधी भागीदारी नहीं है। इस कारण जमीनी स्तर पर योजनाओं व विकास कार्यों का श्रेय भी कांग्रेस को नहीं मिल पा रहा।

    10 विधानसभा क्षेत्र वाले मंडी जिले में एक कांग्रेस विधायक 

    10 विधानसभा क्षेत्र वाले इस जिला में कांग्रेस का एकमात्र विधायक हैं। वह भी पहली बार विजयी हुए थे। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यदि कांग्रेस ने संगठनात्मक सुस्ती पर काबू नहीं पाया तो निकाय व पंचायत चुनाव में नुकसान हो सकता है।

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    कार्यकर्ता उम्मीद में

    स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की निष्क्रियता से विपक्ष को आक्रामक होने का मौका मिल गया है। कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता अब इस उम्मीद में हैं कि जल्द पार्टी नेतृत्व ठोस कदम उठाएगा, जिससे चुनावी समर से पहले जिला व ब्लाक संगठन को मजबूती मिल सके।

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