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    मनाली-लेह हाईवे पर 6 महीने नहीं कर सकेंगे सफर, 17,482 फीट ऊंचे दर्रे का सफर रहता है रोमांचकारी; सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण

    By JASWANT THAKUREdited By: Rajesh Sharma
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 01:54 PM (IST)

    मनाली-लेह हाईवे, जो 17,482 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, अब छह महीने के लिए बंद रहेगा। भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों में यह मार्ग अवरुद्ध रहता है, जिससे लेह-लद्दाख का संपर्क देश से कट जाता है। यह मार्ग रोमांचकारी होने के साथ सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सेना के लिए आपूर्ति का एक अहम जरिया है।

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    मनाली लेह हाईवे से गुजरते ट्रक का फाइल फोटो।

    जसवंत ठाकुर, मनाली। सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण लगभग 430 किमी लंबा मनाली-लेह मार्ग अधिकारिक तौर पर आज 20 नवंबर को बंद हो गया। लाहुल स्पीति प्रशासन ने बीआरओ की रिपोर्ट के बाद सर्दियों के कारण सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए यह मार्ग बंद कर दिया है। 

    पर्यटक इस हाईवे से सफर को बहुत पसंद करते हैं। इसका कारण इसकी भौगोलिक सरंचना है। खासतौर पर बाइकर्स मनाली से लेह तक के सफर के लिए यहां पहुंचते हैं। आसमान छूते बर्फ से ढके दर्रों पर सफर काफी रोमांचकारी रहता है। 

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    लगभग छह माह बंद रहेगा हाईवे

    अब अगले साल अप्रैल या मई महीने में सड़क बहाली के बाद ही इस मार्ग पर वाहन दौड़ेंगे। इस साल यह मार्ग 12 मई को बहाल हुआ था और 13 मई से मार्ग पर वाहन दौड़ना शुरू हुए थे। इस मार्ग पर छह महीने वाहनों की चहल-पहल बनी रही।

    यात्रियों से प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील : डीसी

    लाहुल-स्पीति की उपायुक्त किरण भड़ाना ने कहा कि बीआरओ की सिफारिश के बाद गत सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी गई थी। उन्होंने यात्रियों से प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने की अपील की है।

    लेह मार्ग की शान है बारालाचा सहित अन्य दर्रे

    मनाली लेह मार्ग चार महत्वपूर्ण और उच्च ऊंचाई वाले दर्रों से होकर गुजरता है। इस मार्ग पर बारालाचा ला (16,040 फीट), नकी ला (15,547 फीट), लाचुग ला (16,616 फीट) और तांगलांग ला (17,482 फीट) दर्रे हर किसी का मन मोह लेते हैं और स्वर्ग सा अहसास दिलाते हैं।

    सामरिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है मार्ग

    चीन व पाकिस्तान की सीमा पर देश की रक्षा में तैनात सेना तक रसद पहुंचाने के लिए यह सुरक्षित मार्ग है। इस मार्ग पर दुश्मनों की नजर नहीं पड़ती। सीमा तक रसद व अन्य सामग्री इसी मार्ग से होकर भेजी जाती है। 

    बाया श्रीनगर व कारगिल मार्ग पर रहती है दुश्मन की नजर

    लेह पहुंचने के लिए बाया श्रीनगर कारगिल होकर भी पहुंचते हैं, लेकिन इस मार्ग पर दुश्मनों की नजर रहती है। इस कारण सेना के लिए मनाली-लेह हाईवे बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। 

    तीसरा सुरक्षित व वैकल्पिक मार्ग बना रहा बीआरओ

    हालांकि बीआरओ ने मनाली से शिंकुला जांस्कर नीमो होते हुए लेह के लिए तीसरा सबसे सुरक्षित व वैकल्पिक मार्ग भी बना लिया है लेकिन सेना के वाहनों के लिए अभी यह मार्ग पूरी तरह तैयार नहीं है। हालांकि आपात स्थिति में गत दो साल से शिंकुला मार्ग लेह लद्दाख के लोगों के लिए नया विकल्प लेकर आया है, लेकिन बाया बारालाचा के बजाय इस मार्ग से लेह पहुंचने में दो गुना अधिक समय लगता है।

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    बीआरओ की दो परियोजनाओं के अधीन है यह हाईवे

    430 किमी लंबे इस हाईवे की देखरेख बीआरओ की हिमांक व दीपक दो परियोजनाएं करती हैं। हिमांक लेह क्षेत्र पर सरचू तक जबकि दीपक हिमाचल क्षेत्र के सरचू तक सड़क का रखरखाव करती है।

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