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    मनाली फोरलेन पर केंद्र ने हिमाचल सरकार को किया आगाह, नुकसान के 3 कारण के साथ समाधान भी बताया, ऐसा न किया तो बर्बादी तय

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 12:01 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार को कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर भूस्खलन और बाढ़ के खतरे के प्रति आगाह किया है। मंत्रालय ने कहा है कि ब्यास नदी की बदलती धारा, गाद का जमाव और अनियोजित निर्माण आपदा के मुख्य कारण हैं। एनएचएआई ने ड्रेजिंग की आवश्यकता बताई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। 

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    मनाली फोरलेन का ब्यास नदी में टूटा हुआ हिस्सा। जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, मंडी। कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर भूस्खलन और बाढ़ जोखिम को लेकर केंद्र ने हिमाचल सरकार को पत्र भेजा है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री अजय टम्टा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भेजे पत्र में कहा कि यदि जल्द वैज्ञानिक हस्तक्षेप नहीं हुआ तो आने वाला मानसून इस मार्ग को बड़े पैमाने पर तबाह कर सकता है।

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    मंत्रालय ने वर्ष 2023 और 2025 में आई आपदाओं का हवाला देते हुए मार्ग की स्थिति को बेहद चिंताजनक और खतरे में बताया है। ब्यास की बदली धारा, बढ़ती गाद और अनियोजित निर्माण को आपदा का कारण बताया है।

    सेना की आवाजाही व आपदा राहत के लिए बेहद खास है यह मार्ग

    पत्र में कहा गया है कि यह मार्ग न केवल पर्यटन, व्यापार, बल्कि सेना की आवाजाही और आपदा राहत के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मार्ग की सुरक्षा में देरी से नुकसान झेलना पड़ सकता है। मंत्रालय ने मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत स्तर पर हस्तक्षेप करते हुए सभी विभागों को एक मंच पर लाकर संयुक्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया है, ताकि आने वाले महीनों में संभावित जन-धन हानि को रोका जा सके।

    एनएचएआई ने कई बताई थी ड्रेजिंग की आवश्यकता

    मंत्रालय ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने कई बार मंडी और कुल्लू जिला प्रशासन को तुरंत वैज्ञानिक ड्रेजिंग की आवश्यकता बताई थी, लेकिन कार्रवाई न होने से खतरा अब कई गुना बढ़ चुका है। आइआइटी मंडी, आइआइटी रुड़की, आइआइटी रोपड़ और बीआरओ की रिपोर्ट में भी स्पष्ट कहा गया है कि गाद निकासी ही बाढ़ जोखिम को कम करने का मूल समाधान है।

    नालों में चेकडैम का अभाव, हर वर्ष ब्यास में बढ़ रहा मलबा

    मनालसू, एलेओ, सरवरी, पार्वती, हुरलाह, सैंज और तीर्थन जैसी सहायक नदियों में चेकडैम और ऊर्जा-विघटन संरचनाओं का अभाव बताते हुए केंद्र ने कहा कि हर वर्ष भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर सीधे ब्यास में पहुंच रहे हैं। 2026 के मानसून से पहले इन संरचनाओं का निर्माण अनिवार्य किया जाए अन्यथा हर बरसात मार्ग के लिए विनाशकारी साबित होगी।

    मंत्रालय ने कीरतपुर-मनाली, चंडीगढ़-शिमला, पठानकोट-मंडी फोरलेन के किनारे तेजी से बढ़ते अनियोजित निर्माण को भी गंभीर खतरा बताया है। पत्र में कहा गया है कि अतिक्रमण और मास्टर प्लान की अनुपस्थिति से सड़क की नींव कमजोर हो रही है, जिससे भूस्खलन और जलभराव की संभावना बढ़ रही है। 

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    अजय टम्टा ने सितंबर में किया था फोरलेन का निरीक्षण

    अजय टम्टा ने 14 व 15 सिंतबर को कीरतपुर-मनाली फोरलेन को आपदा से हुए नुकसान का जायजा लिया था। एनएचएआइ के ड्रेजिंग के आग्रह को लेकर गत माह प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग अभिषेक जैन की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। इसमें प्रस्ताव कैबिनेट को बनाकर भेजने का निर्णय लिया था। 2023 की आपदा में कीरतपुर-मनाली फोरलेन को 700 और इस बार 1000 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति हुई थी।

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