Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kullu Landslide: पहाड़ी से आया सैलाब पलक झपकते ही बहा ले गया सालों की मेहनत, ...बेघर मनाेरमा को बेटी की शादी की चिंता

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 01:46 PM (IST)

    Kullu Landslide कुल्लू के बंजार क्षेत्र में भियाली नाले में बादल फटने से मनोरमा देवी का घर और खेत सैलाब में बह गए जिससे उनका जीवन फिर से संकट में आ गया। पांच साल पहले पति की मौत के बाद उन्होंने बच्चों को पढ़ाया और आत्मनिर्भर बनाया था। आपदा ने उनसे घर और आजीविका छीन ली।

    Hero Image
    कुल्लू के बंजार भियोली में बादल फटने से पहाड़ी से आए सैलाब में बहा घर व मायूस मनोरमा देवी। जागरण

    हंसराज सैनी, भियाली (बंजार)। Kullu Landslide, हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के बंजार क्षेत्र के भियाली में बादल फटने से आई आपदा ने मनोरमा देवी के जीवन को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया। पति की मौत के बाद अकेले बच्चों को पढ़ा-लिखाकर अपने पांव पर खड़ा करने वाली मनोरमा का मकान और खेत एक ही झटके में सैलाब में बह गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चार सितंबर को भियाली नाले से आई तबाही ने मनोरमा देवी के जीवन को जैसे थाम दिया है। पंचायत सचिव दुले सिंह की पत्नी मनोरमा के लिए यह कोई पहली चुनौती नहीं थी।

    पांच साल बाद फिर आया मनोरमा की जिंदगी में सैलाब

    पांच साल पहले पति की मौत के बाद अपने पांच बच्चों की परवरिश और शिक्षा की जिम्मेदारी अकेले उठाई। दो बेटियों को पढ़ाकर उनकी शादी कर दी, तीसरी बेटी स्नात्तकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। दो बेटे कालेज में पढ़ते हुए होटल में काम करके मां का हाथ बंटाते हैं।

    पति के जाने के बाद संभली मनोरमा फिर आफत में

    पति के जाने के बाद घर चलाने और बच्चों की पढ़ाई में कमी न आए मनोरमा ने घर के पास डेढ़ बीघा भूमि में टमाटर और सब्जी की खेती शुरू की थी, जिससे सालाना डेढ़ से दो लाख रुपये की आय हो जाती थी। लेकिन चार सितंबर को भियाली नाले की पहाड़ी पर बादल फटने से आया सैलाब पांच कमरों का पक्का मकान और खेती की जमीन सब बहा ले गया। पानी का वेग इतना तेज था कि मकान की नींव तक उखड़ गई।

    पलक झपकते खत्म हो गई सालों की मेहनत

    किसी तरह मनोरमा ने अपनी, बेटों और बेटी की जान बचाई, लेकिन वर्षों की मेहनत और पूंजी पलक झपकते खत्म हो गई। अब मनोरमा अपने परिवार के साथ पड़ोसियों के क्षतिग्रस्त घर में शरण लिए हुए हैं। सिर पर छत नहीं, खाने-पीने को दूसरों पर निर्भरता और बेटी के हाथ पीले करने का सपना भी अधर में लटक गया है।

    यह भी पढ़ें- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल में फोरलेन व हाईवे के नुकसान की स्थिति जानी, NHAI को क्या दिए निर्देश?

    कैसे करूंगी बेटी की शादी, अब तो घर भी नहीं बचा

    बकौल मनाेरमा हमारे पास सिर्फ वही कपड़े बचे हैं जो उस समय पहने हुए थे। सोचा था बेटी की पढ़ाई पूरी होते ही शादी कर दूंगी, लेकिन अब घर भी नहीं है और जमीन भी नहीं, यह कहते हुए मनोरमा की आंखें भर आती हैं। आपदा के सात दिन गुजरने के बावजूद अब तक प्रशासनिक मदद नहीं पहुंचने से परिवार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

    यह भी पढ़ें- हिमाचल पुलिस और कार मालिक के वायरल वीडियो पर SP की बड़ी कार्रवाई, भारी चालान कर गाड़ी जब्त; गाली पर अधिकारी भी नपा