टांडा अस्पताल के डॉक्टरों ने 8 साल के बच्चे को दिया नया जीवन, नहीं पी पाता था तरल पदर्थ; दिल का छेद किया बंद
टांडा अस्पताल के सीटीवीएस विभाग ने 8 वर्षीय बच्चे की वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) की सफल सर्जरी की। प्राचार्य डा. मिलाप शर्मा ने सीटीवीएस विभाग ...और पढ़ें

टांडा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का परिसर। जागरण आर्काइव
संवाद सहयोगी, कांगड़ा। डॉ. राजेंद्र प्रसाद आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं अस्पताल टांडा के कार्डियोथारेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग ने एक आठ वर्षीय बच्चे में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) की सफल सर्जरी कर उसे नया जीवन प्रदान किया है। इस उपलब्धि पर संस्थान के प्राचार्य डा. मिलाप शर्मा ने सीटीवीएस विभाग की सराहना की है। सफल सर्जरी के बाद रोगी को सोमवार को छुट्टी दे दी गई।
डा. मिलाप शर्मा ने बताया कि यह सफल सर्जरी एनेस्थीसियोलाजी, कार्डियोलाजी, इम्यूनोहेमेटोलाजी और ब्लड बैंक विभागों के समर्पित प्रयासों से संभव हो सकी। सीटीवीएस टीम में डा. देशबंधु, डा. पुनीत और डा. विकास शामिल थे, जबकि एनेस्थीसिया टीम ने डा. शैली के नेतृत्व में कार्य किया।
क्या होता है वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट
डा. देशबंधु ने बताया कि वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट हृदय के निचले दो कक्षों (निलय) के बीच एक जन्मजात छेद होता है, जिससे आक्सीजन युक्त रक्त फेफड़ों में वापस लीक हो जाता है, जिससे हृदय और फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है। यह सबसे आम जन्मजात हृदय दोष है, जो अक्सर छोटे बच्चों में अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन बड़े होने पर सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
तरल पदार्थ पीने में होती है कठिनाई
उन्होंने बताया कि इसके प्रारंभिक लक्षणों में तरल पदार्थ पीने में कठिनाई होती है। यह एक जन्मजात हृदय दोष है, जो हृदय के निचले पंपिंग कक्षों (बाएं और दाएं वेंट्रिकल्स) के बीच की दीवार (सेप्टम) में एक छेद के रूप में होता है।
होती है यह दिक्कत
सामान्यतः, यह दीवार जन्म से पहले पूरी तरह से विकसित हो जाती है, लेकिन वीएसडी में यह अधूरी रह जाती है, जिससे आक्सीजन युक्त रक्त आक्सीजन रहित रक्त के साथ मिल जाता है और फेफड़ों में वापस चला जाता है।

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