हिमाचल: भवन निर्माण के नियमों में बदलाव, सड़क की चौड़ाई से तय होगी बिल्डिंग की ऊंचाई; अधिसूचना में क्या महत्वपूर्ण?
हिमाचल प्रदेश में भवन निर्माण के नियमों में बदलाव किया गया है। नए नियमों के अनुसार, अब बिल्डिंग की ऊंचाई सड़क की चौड़ाई के अनुसार तय की जाएगी। सरकार न ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश में भवन निर्माण के नियम बदल गए हैं। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने व्यावसायिक व आवासी भवन निर्माण के लिए नियमों में संशोधन किया है। आवासीय, व्यावसायिक व पर्यटन उपयोग के लिए भवनों के सेटबैक व पार्किंग मानकों में बदलाव किया है। गत सात नवंबर को विभाग ने इसका ड्राफ्ट जारी कर लोगों से एक माह में सुझाव व आपत्तियां मांगी थी।
भवनों की ऊंचाई में बदलाव नहीं किया है। यह 21 मीटर ही रखी गई है। पहले सभी के लिए एक ही नियम लागू होता था।
नई श्रेणियां शामिल
नियमों में संशोधन के तहत इसमें कुछ नई श्रेणियां शामिल की गई हैं। अब 100 से 250 वर्ग मीटर तक के भूखंडों के लिए फ्रंट में दो, लेफ्ट व राइट और रियर साइड में न्यूनतम सेटबैक डेढ़ मीटर तथा 250 से 500 वर्ग मीटर के लिए फ्रंट में तीन, लेफ्ट व राइट में दो और रियर साइड में न्यूनतम सेटबैक दो मीटर छोड़नी होगी।
500 से एक हजार वर्ग मीटर निर्माण के लिए नियम
500 से एक हजार वर्ग मीटर के लिए फ्रंट में पांच, लेफ्ट व राइट में तीन और रियर साइड में न्यूनतम सेटबैक डेढ़ मीटर की होगी। एक हजार वर्ग मीटर से अधिक में फ्रंट में पांच, लेफ्ट व राइट में चार और रियर साइड में न्यूनतम सेटबैक तीन मीटर की होगी। सभी के लिए फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) 1.75 व भवन की अधिकतम ऊंचाई 21 मीटर निर्धारित की है।
क्यों किया गया संशोधन
विभाग के अनुसार, प्रदेश में अनियंत्रित निर्माण को रोकना, भवनों की ऊंचाई को वैज्ञानिक मानकों से जोड़ना, पार्किंग क्षमता बढ़ाना और शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में नियोजित विकास को सुनिश्चित करने के लिए यह संशोधन किया गया है।
पर्यटन भवनों के लिए ये नियम
250 से 4,000 वर्ग मीटर तक के पर्यटन उपयोग के लिए भवन की ऊंचाई 15 से 21 मीटर तक निर्धारित की है। पार्किंग के लिए प्रति 100 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र पर हर गाड़ी के लिए 1.0 से 3.0 मीटर की जगह अनिवार्य की है। होटल, गेस्ट हाउस या ईको टूरिज्म प्रोजेक्ट्स के लिए निर्माण रेखा को बाजार क्षेत्रों में न्यूनतम रखा जा सकेगा। 1500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र वाली पार्किंग संरचनाओं के लिए भवन की ऊंचाई अधिकतम 25 मीटर तक की जा सकेगी। सात मीटर से अधिक सड़क चौड़ाई होने पर भवन की ऊंचाई 21 मीटर तक होगी। स्कूल, अस्पताल, पुलिस थाना, फायर स्टेशन, सामुदायिक भवन आदि के लिए भी अधिकतम ऊंचाई 21 मीटर तय की है।
आवासीय, वाणिज्यिक और पर्यटन भवनों के लिए नए सेटबैक और एफएआर नियम
नियमों में आवासीय, सेमी-डिटैच्ड, रो-हाउस, वाणिज्यिक शाप्स, शापिंग कांपलेक्स, पर्यटन इकाइयों, मल्टी लेवल पार्किंग, सिनेप्लेक्स और मल्टीप्लेक्स सहित सभी प्रमुख श्रेणियों के लिए प्लाट के अनुसार सेटबैक, अधिकतम ऊंचाई और एफएआर को संशोधित किया है। 150 वर्ग मीटर से 4,000 वर्ग मीटर तक के प्लाट में फ्रंट, लेफ्ट, राइट और रियर सेटबैक नई श्रेणियों के अनुसार निर्धारित किया है। आवासीय भवनों की अधिकतम ऊंचाई 21 मीटर तक तय की गई है। वाणिज्यिक दुकानों, कांपलेक्स के लिए भी प्लाट के अनुसार अलग-अलग एफएआर और ऊंचाई तय की गई है।
भवन की ऊंचाई अब सड़क की चौड़ाई से तय होगी
नियमों में पहली बार भवन की ऊंचाई को सड़क की चौड़ाई से जोड़ दिया है। दो मीटर तक चौड़ी सड़क के साथ भवन की अधिकतम ऊंचाई 7.50 मीटर, तीन से पांच मीटर सड़क के साथ भवन की अधिकतम ऊंचाई 15 मीटर, पांच मीटर से अधिक चौड़ी सड़क के साथ भवन की अधिकतम ऊंचाई 21 मीटर तय की है। वाणिज्यिक, पर्यटन, मल्टीप्लेक्स और सार्वजनिक उपयोग के भवनों की ऊंचाई 10.56 से 25 मीटर तक तय की है।
पार्किंग में संशोधन
प्लाट के आधार पर पार्किंग व्यवस्था अनिवार्य की है। 250 वर्गमीटर से आगे बढ़ने पर 1.0 से 3.0 ईसीएस प्रति 100 वर्गमीटर बिल्ट-अप एरिया की पार्किंग होगी। मल्टी-लेवल पार्किंग के लिए भवन की ऊंचाई 15 से 25 मीटर तक निर्धारित की है। सिनेप्लेक्स और मल्टीप्लेक्स में तीन ईसीएस प्रति 100 वर्गमीटर पार्किंग आवश्यक है।
पर्यटन इकाइयों के लिए नए प्रविधान
होटल, गेस्ट हाउस, ईको-टूरिज्म यूनिट्स आदि के लिए प्लाट 250 से 4,000 वर्गमीटर से अधिक तक के लिए नए सेटबैक का नियम बनाया गया है। एफएआर 1.75 से 1.50 तक और अधिकतम ऊंचाई 21 मीटर निर्धारित की है। पर्यटन इकाइयों में 1.0 से 2.0 ईसीएस प्रति 100 वर्गमीटर पार्किंग अनिवार्य है।
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एनओसी व कंपलीशन सर्टिफिकेट भी नहीं मिलेगा
अधिसूचना में एनओसी व कंपलीशन सर्टिफिकेट का भी नियम तय किया है। प्लिंथ लेवल तक निर्माण पर केवल अस्थायी बिजली कनेक्शन मिलेगा। टाप फ्लोर पूरा होने पर स्थायी पानी, बिजली, सीवरेज कनेक्शन मिलेगा। जहां ढलानदार छत अनिवार्य है, वहां छत डालने के बाद ही कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।

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